17 March, 2016

कुमार विश्वास, स्मृति ईरानी, राहुल गांधी होली में

रविकर
फगुनाहट आहट हटकु, टुक टुक ताके भांग ।
जमे अमेठी में सभी, करें भांग पे स्वांग ।
करें भांग पे स्वांग, खड़े गांधी ईरानी ।
वहीँ खड़े विश्वास, वहीँ उनकी दीवानी ।
करते कविता पाठ, इकठ्ठा वोटर दुगुना ।
चढ़ती भंग तरंग, गीत गाते फिर फगुना ॥

कुमार विश्वास
अंटी में पैसा नहीं, आकर गया अघाय ।
घंटा देकर के गए, हमें केजरी भाय ।
हमें केजरी भाय, जीतना यहाँ जरुरी ।
दांव-पेंच षड्यंत्र, करूंगा कोशिश पूरी ।
चल देता फिर चाल, घुमा देता वह फन्टी ।
हँसते जब युवराज,  होय तब विस्मृति अंटी ।

स्मृति ईरानी
आँखे रही तरेर वह, विस्मृति वह चिल्लाय  ।
सिट्टी-पिट्टी घुम गई, अंगुली रही दिखाय॥

अंटी कहते हो हमें, खुद को कहो जवान ।
हुवे छियालिस बरस के, अजब गजब अरमान ॥

राहुल बाबा
राहुल बाबा बोलते, चढ़ा चढ़ा के बांह ।
मैं तो हूँ अब तक जवाँ, हुआ नहीं जो व्याह ॥

बच्चों की चिंता करो, मोदी रहे सताय ।
डायन भी तो सात घर, छोड़-छाड़ के खाय ॥

कुमार विश्वास
कोई दीवाना कहे, किन्तु नहीं विश्वास ।
कभी रही थी तुम बहू, बनो नहीं अब सास ॥

हुआ नहीं जो व्याह तो, दिखा रहे क्यों शान ।
होगे मोदी अटल सा, क्या तुम पंत-प्रधान ॥

ताड़ा जे एन यू सकल, गया हैदराबाद ।
किन्तु बहू पाई नहीं, तुझको तो अवसाद ।
तुझको तो अवसाद , बैठ संसद में जाए ।
बहू वहीँ दे धोय,  जान तेरी अकुलाये ।
नहीं करेगा व्याह, बिता देगा सौ जाड़ा ।
गया वहां से भाग, गया जब बहुत लताड़ा ॥

राहुल बाबा
मोदी की तो बोल मत, दिखे ढोल में पोल ।
मास्टरनी बैठी वहाँ, रही केस अब खोल ॥

ईरानी तू सिर कटा, चिल्लाना बेकार ।
महाठगिन माया सदा, मायामय संसार॥

रविकर
रंग रँगीला दे जमा, रँगरसया रंगरूट |
रंग-महल रँगरेलियाँ, *फगुहारा ले लूट ||
*फगुआ गाने वाला पुरुष -

फ़गुआना फब फब्तियां, फन फ़नकार फनिंद |
रंग भंग भी ढंग से, नाचे गाये हिन्द ||

मूँग दले होरा भुने, उरद उरसिला कूट ।
पापड़ बेले अनवरत, खाय दूसरा लूट ।।

5 comments:

  1. कुंडलियाँ अच्छी है

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  2. खूब चटक रंग बिखेरे हैं होली के ...
    बहुत सुन्दर ...

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  3. रविकर भाई सुन्दर कुंडलियां विविध विषय समाहित आप का अंदाज ही अलग है ..चटक रंग और व्यंग दोनों से आनंद आया
    भ्रमर ५

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  4. बहुत सुन्दर

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