06 February, 2019

आई आई टी धनबाद

"-- " आई आई टी धनबाद के ब्वायज-हॉस्टल ||
रूबी और रोजलिन गर्ल्स हॉस्टल
रविकर दुनिया तो सदा, कहे ओल्ड इज गोल्ड।
डायमंड कहला रहा, किन्तु यहाँ का ओल्ड।।
(1)
दिखे जब फोर-फादर को, नजारे क्लोज कैम्पस में।
करें दिल खोलकर चर्चा, मगर फिर भी कशमकश में।।
बने फुटपाथ अब लम्बे, मगर पग फूँक कर धरना-
चतुर्दिश प्रेम पसरा है, पुराने तोड़ दो चश्में।।
शटल बस एक जोड़ी बस, सुबह से शाम तक चलती।
चढ़ी जो जोड़ियाँ बस में, नहीं रहती कभी बस में।।
चपल मन आलसी तन को, पढ़ाई के लिए ठेले।
दिखें जब दर्जनों ठेले, रहे तब चाट फोकस में।।
बनी बहुमंजिला बिल्डिंग, लगी हैं लिफ्ट भी उनमें-
निपटती लिफ्ट में रविकर, मुहब्बत की कई रस्में।।
बड़ी मजबूत छत इनकी, नहीं महफूज है लेकिन-
अकेले मत गिनो तारे, भरो रस-रंग आपस में।
कई तो हेल्थ सेंटर में कहानी जन्म लेती है।
मुहब्बत की दवा होती, जहाँ पैबस्त नस नस में।।
लगे है क्लोज सर्किट कैमरे, हर क्लास में फिर भी-
मुहब्बत के कई लेशन, किये शामिल सिलेबस में।।
(2)
"अम्बर" तलक फैली हुई, चमकार रूबी की चपल |
लगती भले को तो भली, खल को रही है किन्तु खल ||
*जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।।*
जिस "जैस्पर" की भैंस पानी में गयी, वो दर्द में-
नित शोध करता कि बड़ी है, भैंस या मेरी अकल।।
आँखे लड़ाना मत कभी, चमकार से उसकी मियाँ-
"टोपाज" तू तो बाज आ, कर बैठकर-न्यूमेरिकल ||
JRF
"एमरॉल्ड" तू मत कर नकल, उन इश्क़जादों की अभी-
चश्मा लगा चोथा बना, इक्जाम में फिर कर नकल ||
कैंटीन रोजादार के इफ्तार से रौशन मगर
वे याद कर "ओ पल" यहाँ, गम खा रहे हैं आजकल ||
opal
फायर "सफायर" में बड़ी है, किन्तु मिस-फायर सभी-
दो मास ही बाकी बचे, वे कम्पनी लेंगे बदल ||
final year

2 comments:

  1. कहाँ रहते हैं आज कल बहुत दिनो के बाद एक लाजवाब रचना

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