tag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post6346366086136070574..comments2023-10-26T02:48:20.620-07:00Comments on "कुछ कहना है": सचिन घोंसला व्यग्र, अंजली अर्जुन सारा-रविकर http://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post-70737174840347042962013-11-18T21:31:33.009-08:002013-11-18T21:31:33.009-08:00खूबसूरत कथ्य और शब्द...खूबसूरत कथ्य और शब्द...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post-80616301582992552382013-11-18T01:24:44.701-08:002013-11-18T01:24:44.701-08:00रत्न तो मिला, पर न जाने क्या-क्या सोचकर दिया गय...रत्न तो मिला, पर न जाने क्या-क्या सोचकर दिया गया।Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post-91355102172912804562013-11-17T21:27:53.667-08:002013-11-17T21:27:53.667-08:00आदरणीय सर , आखिरी लाइन , बच्चों का अधिकार छीनता स्...आदरणीय सर , आखिरी लाइन , बच्चों का अधिकार छीनता स्वार्थ हमारा , बहुत दमदार , धन्यवाद<br />" जै श्री हरि: "आशीष अवस्थीhttps://www.blogger.com/profile/05326902845770449131noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post-36516346847636792622013-11-17T18:48:34.134-08:002013-11-17T18:48:34.134-08:00समझ नहीं आया--कि ये प्रशंसास्तुति है---?
क्षमा करे...समझ नहीं आया--कि ये प्रशंसास्तुति है---?<br />क्षमा करें मन के - मनकेhttps://www.blogger.com/profile/16069507939984536132noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post-24242233964475054562013-11-17T17:13:40.084-08:002013-11-17T17:13:40.084-08:00बहुत ही सुन्दर सर जी , महामानव ही है बंदा बहुत ही सुन्दर सर जी , महामानव ही है बंदा Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14500351687854454625noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post-32269536095250959212013-11-17T06:57:21.415-08:002013-11-17T06:57:21.415-08:00तथ्य भूलते चन्द, महामानव है बन्दा |
रेफलेक्सेज नहि...तथ्य भूलते चन्द, महामानव है बन्दा |<br />रेफलेक्सेज नहिं मंद, गगन छू चुका परिंदा |<br />रजस और तमस संसिक्त लोग हर चीज़ में दाग ही देखते हैं चाहे वह सचिन भाई का किरदार हो या जगद्गुरु ऐसे पत्रकार हमारे बीच प्रगटित हुए हैं जिन्हें सिर्फ दाग ही दिखता है एक चैनलिया जगद्गुरु के बारे में कह रहा था अपने न्यूज़ चैनल पर -विवादों से उनका पुराना नाता था ,मर गए वो अब। ऐसे ही राजनीति में लोग साम्प्रदायिकता की बात करते हैं सोनिया (सोइया )हो या कोई और इन्हें यह नहीं पता भारत में सम्प्रदाय थे भारत कभी भी साम्प्रादायिक नहीं रहा ये सिलसिला तो मुसलमानों के आने के बाद शुरू हुआ। यहाँ तो जितने सनातनी थे उतने ही देव थे। कोई शैव और कोई वैष्णव सम्प्रदाय को भजता था। <br /><br />सम्प्रदाय का अर्थ है वह जो समाज को कुछ देता है सोइया जी को भी कोई समझा दे तो भारत के बारे में उनके ज्ञान चक्षु खुलें जो साम्प्रदायिकता की बात करतीं हैं। कोई है इन्हें बतलाये सम्प्रदाय का मर्म और अर्थ। हिन्दू बोले तो भारत धर्मी समाज कैसे साम्प्रादायिक हो गया भले कांग्रेसियों। भली आदमिन सोइया जी। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com