tag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post8913303578920001218..comments2023-10-26T02:48:20.620-07:00Comments on "कुछ कहना है": मन-सागर :टिप्पणी दर्शन-प्राशन पररविकर http://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post-78774470073360789082011-09-10T22:19:28.542-07:002011-09-10T22:19:28.542-07:00भर-भर घड़े उड़ेले अश्रु-
तब आया यह सारा पानी |
वाह...भर-भर घड़े उड़ेले अश्रु-<br />तब आया यह सारा पानी |<br /><br />वाह वाह बहुत सुन्दर... लयबद्ध... सरस गीत.... <br />सादर बधाई...S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post-88650376029817544702011-09-10T18:02:59.830-07:002011-09-10T18:02:59.830-07:00अरे अरे अरे रे रे ...मैंने अपने क्रोध को ही घृणास्...अरे अरे अरे रे रे ...मैंने अपने क्रोध को ही घृणास्पद कह दिया ...<br />भूल सुधार ... घृणा मिश्रित क्रोध कहना चाहिए था.<br />और ....... मुख्य टिप्पणी तो की ही नहीं.<br />आपने कविताई का उत्तर कविताई से दिया <br />यह आपकी काव्य-प्रतिभा है.... किन्तु इससे यह सन्देश भी जाता है कि <br />आप काव्य-जीवी हैं.... और निःसंकोच कविता का सम्मान करते हैं.<br />चाहे वह फिर आड़ी-तिरछी ही क्यों न हो?.... इस तरह आप अपने स्वभाव से भी परिचित करा रहे हैं.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post-52505410937879765212011-09-10T17:56:26.985-07:002011-09-10T17:56:26.985-07:00@ आदरणीय रविकर जी,
आलसी निकम्मे नेताओं की कुंडली ख...@ आदरणीय रविकर जी,<br />आलसी निकम्मे नेताओं की कुंडली खोलने के लिये <br />धूर्त विषधर गद्दारों की कुण्डली बिगाड़ने के लिये <br />आपकी कुंडलियों ने अब तक कमाल किया है... <br />मेरे मन में अब तक इतना घृणास्पद क्रोध भर चुका है कि मेरी कलम तो उन नेताओं के नाम लेने से कतराने लगी है... जिनमें सुधार की गुंजाइश ही न हो वहाँ किया श्रम निरर्थक लगने लगा है... किन्तु आपका काव्य-श्रम स्तुत्य है ... बिना नाम लिये भी आपने काफी कुछ कहा ... आपके तमाम ब्लॉग कविताई के दरिया बने हुए हैं.. जो छंद महासागर में जाकर गिरते हैं............ आपकी कवितायें उस युद्ध की दुंदुभि की तरह हैं जो देश के योद्धाओं की सुप्त चेतना को धर्म युद्ध में जाने से पहले पूर्णतया जागृत कर देती है. ............. नमन आपकी प्रतिभा को.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post-66847708267606285042011-09-10T14:03:26.372-07:002011-09-10T14:03:26.372-07:00वाह! क्या बात है...बहुत सुन्दरवाह! क्या बात है...बहुत सुन्दरचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post-57533414281642198512011-09-10T10:39:14.540-07:002011-09-10T10:39:14.540-07:00उम्दा रचना!!उम्दा रचना!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post-5007114594103008122011-09-10T10:37:09.344-07:002011-09-10T10:37:09.344-07:00बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post-20288097431436034172011-09-10T08:01:44.199-07:002011-09-10T08:01:44.199-07:00बहुत सुन्दर प्रस्तुति..बहुत सुन्दर प्रस्तुति..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post-47573107330984378592011-09-10T07:42:23.582-07:002011-09-10T07:42:23.582-07:00बहुत सुन्दर रचना....बहुत सुन्दर रचना....Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post-9958399858528723912011-09-10T06:45:35.637-07:002011-09-10T06:45:35.637-07:00ज़बरज़स्त साधना में रमें हैं हमारे कविवर दिनकर -रव...ज़बरज़स्त साधना में रमें हैं हमारे कविवर दिनकर -रविकर जी !<br />मन-सागर :टिप्पणी दर्शन-प्राशन पर<br />Beaches_Holidays.jpg<br />The cattle grazing under the baobab beside the pond. मन-सागर में खारा पानी |<br />बहुत-बहुत बेचारा पानी- <br />भर-भर घड़े उड़ेले अश्रु-<br />तब आया यह सारा पानी ||<br />मनभावन गेय रचना .<br />शनिवार, १० सितम्बर २०११<br />अब वो अन्ना से तो पल्ल्ला छुडा रहें हैं .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-87853353742102906.post-40242459758825464632011-09-10T06:36:55.889-07:002011-09-10T06:36:55.889-07:00बहुत बढ़िया रचना |बहुत बढ़िया रचना |बहुत बढ़िया रचना |बहुत बढ़िया रचना |Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12634209491911135236noreply@blogger.com