02 March, 2013

बजट बिराना पेश, देखता रहा बिराना-

राना जी छत पर पड़े, गढ़ में बड़े वजीर |
नई नई तरकीब से, दे जन जन को पीर |

दे जन जन को पीर, नीर गंगा जहरीला |
मँहगाई *अजदहा, समूचा कुनबा लीला |

रविकर लीला गजब, मरे कुल नानी नाना |
बजट बिराना पेश, देखता रहा बिराना ||

 अजदहा=बड़ा अजगर
बिराना=पराया / मुँह चिढाना
जीना मुश्किल हो गया, बोला घपलेबाज |
पहले जैसा ना रहा, यह कांग्रेसी राज |

यह कांग्रेसी राज, नियम से करूँ घुटाला |  
 खुल जाती झट पोल, पडा इटली से पाला |

बनवाया उस रोज, आय व्यय का तख्मीना |
जीते चालीस चोर, रोज मरती मरजीना ||

बजट = आय व्यय का तख्मीना

करकश करकच करकरा, कर करतब करग्राह  । 

तरकश से पुरकश चले, डूब गया मल्लाह ।  


डूब गया मल्लाह, मरे सल्तनत मुगलिया ।  

जजिया कर फिर जिया, जियाये बजट हालिया ।

धर्म जातिगत भेद, याद आ जाते बरबस । 

जीता औरंगजेब, जनेऊ काटे करकश ।  
करकश=कड़ा      करकच=समुद्री नमक 

करकरा=गड़ने वाला

कर = टैक्स

करग्राह = कर वसूलने वाला राजा

5 comments:

  1. बहुत अच्छा व्यंग्य है !

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  2. करकश करकच करकरा, कर करतब करग्राह ।

    तरकश से पुरकश चले, डूब गया मल्लाह ।


    डूब गया मल्लाह, मरे सल्तनत मुगलिया ।

    जजिया कर फिर जिया, जियाये बजट हालिया ।

    धर्म जातिगत भेद, याद आ जाते बरबस ।

    जीता औरंगजेब, जनेऊ काटे करकश

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  3. बढ़िया व्यंग्य .

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  4. जीना मुश्किल हो गया, बोला घपलेबाज |
    पहले जैसा ना रहा, यह कांग्रेसी राज |

    करारा व्यंग. सुंदर प्रस्तुति.

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