तीन, तीन तेरह करे, मार्च पास्ट करवाय ।
धनहर-ईंधन धन हरे, धनहारी मुसकाय ।
धनहारी मुसकाय, आय व्यय का तखमीना ।
आग लगे धनधाम, चैन जनता का छीना ।
इ'स्कैम और इ' स्कीम, भाव इसमें हैं गहरे ।
धन्य धन्य सरकार, तीन, तीन तेरह करे ॥
धनहर=धन चुराने वाला
धनहारी = दूसरे के धन का उत्तराधिकारी
धनधाम=रूपया पैसा और घरबार
बहुत सुन्दर | बधाई
ReplyDeleteयहाँ भी पधारें और लेखन पसंद आने पर अनुसरण करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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तीन और तेरह का बेहतरीन खेल,"तीन तीन तेरह कहे ,लिखे
ReplyDeleteउसे तैतीस,जब जब मुह खोले,दाँत दिखे बत्तीस .
वाह!
ReplyDeleteआपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 04-03-2013 को सोमवारीय चर्चा : चर्चामंच-1173 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
सुंदर रचना
ReplyDeleteबधाई
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत खूब सुन्दर अभिव्यक्ति।।।।।।
ReplyDeleteमेरी नई रचना
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
पृथिवी (कौन सुनेगा मेरा दर्द ) ?
ये कैसी मोहब्बत है
वाह पी सी के बजट पर चुटीला व्यंग ।
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