दीमक बिच्छू साँप से, पाला पड़ता जाय ।
पाला इस गणतंत्र ने, पाला आम नशाय ।
(यमक अलंकार)
पाला आम नशाय, पालता ख़ास सँपोला ।
भानुमती ने पुन:, पिटारा कुनबा खोला ।
(श्लेष अलंकार )
पालागन सरकार, बनाओ रविकर अहमक ।
निगलो भारत देश, मौज में रानी दीमक ।।
पाला पड़ना= मुहावरा
पाला= पालना / जल की बूंदे जो सर्दियों में (आम ) फसल बर्बाद कर देती है /
पालागन = प्रणाम
अजी किस खूंटे से पाला पड़ गया .पाला बोले तो पल्लवित होना ,पालना ,वंश के चिराग को .....पाला बोले तो कब्बडी का पाला ....,पाला आस्तीन का सांप सपोला ....संपोला नहीं आयेगा ,सपोला आयेगा ,पढ़ना आयेगा /पड़ ना नहीं ....यमक का बढ़िया प्रयोग ....
ReplyDeleteअजी "पाला" तो आजकल संसदीय कबड्डी में भी है ,संसदीय कूप में कूदो चाहे कपड़े फाड़ो,स्पीकर को घुड़को,स्पीकर (भोंपू ,लाउड स्पीकर को ).किस किस से न पाला पड़ता है बे -चारे स्पीकर का -आप कृपया शांत हो जाइए भोंपू बोले तो प्रवक्ता और भी उद्विग्न हो जाते हैं .
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति। अलंकारों का उपयोग
ReplyDeleteमार्मिक बन पड़ा है।
उत्तम रचना।
आनन्द विश्वास।
इशारा समझ गए सर ...
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