मृत्यु मुझसे भी मिले वैसे गले |
पितृ मेरे कष्ट बिन जैसे चले ||
अनवरत अस्सी बरस युव की ठसक-
सो गए चुपचाप किंचित ना खले ||
श्रम-साध्य जीवन वे सदा जीते रहे,
सब सन्तति उनकी मजे से तो पले ||
संस्कारों से हमारी माँ सँवारी--
आप की भृकुटी दिखाई पथ भले ||
मूँछ गर रविकर बड़ी कर ले सुनो-
आपके ही रूप में वो जा ढले ||
विन्रम श्रन्दाजली.....
ReplyDeleteपूज्यनीय पिताजी को मेरी विनम्र श्रधांजलि
ReplyDeleteनीरज
दिनेश जी ... पिता जी को नम्र श्रधान्जली है ....
ReplyDeleteहार्दिक श्रद्धांजलि आपके पिताजी को !
ReplyDeleteपिताजी को हार्दिक श्रद्धांजलि
ReplyDeleteपूज्यनीय पिताजी को मेरी विनम्र श्रधांजलि....
ReplyDeleteमृत्यु मुझसे भी मिले वैसे गले |
ReplyDeleteपितृ मेरे कष्ट बिन जैसे चले ||मेरे मन की भी बात कह दी।पिताजी को विनम्र श्रद्धांजलि।
हर कोई ऐसी ही कामना करता है कि मृत्यु में भी ईश्वर की लगन रहे, कितनों को यह सौभाग्य प्राप्त होता है यह तो ईश्वर ही जाने॥सुंदर रचना रविकर भाई।
ReplyDeleteबहुत बढिया लिखा है ..
ReplyDeleteपिताजी को हार्दिक श्रद्धांजलि !!
बहुत सधे हुए शब्दों में मन के भावो को व्यक्त किया है आपने.
ReplyDeleteआपके पिताजी को विनम्र श्रद्धांजलि .
पिताजी को विनम्र श्रद्धांजलि
ReplyDelete.
ReplyDeleteपूज्य पिताजी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !
बहुत भावप्रवण मित्रवर। प्रभु का सामीप्य जिस व्यक्ति के प्रारब्ध में है,वही अंतिम क्षणों में आनंदित हो अपने प्राण त्यागता है।
ReplyDeleteसंत हृदय वाले लोग ही जीवन मृत्यु के साथ सामंजस्य बिठा पाते हैं!
ReplyDeleteआत्मरूप में वे आज भी आपके साथ ही होंगे!
baba ko meri hardik shradhanjali. . best of the poems!!
ReplyDeleteभावुक करती हुई रचना ..
ReplyDeleteपिताजी को भावभीनी श्रधांजलि
पूज्यनीय पिताजी को मेरी विनम्र श्रधांजलि.
ReplyDeleteपूजनीय पिताजी को विनम्र श्रद्धांजलि
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