17 November, 2011

पिताजी की पहली बरसी ||

मृत्यु मुझसे भी मिले वैसे गले |
पितृ मेरे कष्ट बिन जैसे चले ||

अनवरत अस्सी बरस युव की ठसक-
सो गए चुपचाप  किंचित ना खले ||

श्रम-साध्य जीवन वे सदा जीते रहे,
सब सन्तति उनकी मजे से तो पले ||

संस्कारों से हमारी माँ सँवारी--
आप की भृकुटी दिखाई पथ भले ||

मूँछ गर रविकर बड़ी कर ले सुनो-
आपके ही रूप में वो जा ढले ||
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18 comments:

  1. विन्रम श्रन्दाजली.....

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  2. पूज्यनीय पिताजी को मेरी विनम्र श्रधांजलि

    नीरज

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  3. दिनेश जी ... पिता जी को नम्र श्रधान्जली है ....

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  4. हार्दिक श्रद्धांजलि आपके पिताजी को !

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  5. पिताजी को हार्दिक श्रद्धांजलि

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  6. पूज्यनीय पिताजी को मेरी विनम्र श्रधांजलि....

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  7. मृत्यु मुझसे भी मिले वैसे गले |
    पितृ मेरे कष्ट बिन जैसे चले ||मेरे मन की भी बात कह दी।पिताजी को विनम्र श्रद्धांजलि।

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  8. हर कोई ऐसी ही कामना करता है कि मृत्यु में भी ईश्वर की लगन रहे, कितनों को यह सौभाग्य प्राप्त होता है यह तो ईश्वर ही जाने॥सुंदर रचना रविकर भाई।

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  9. बहुत बढिया लिखा है ..
    पिताजी को हार्दिक श्रद्धांजलि !!

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  10. बहुत सधे हुए शब्दों में मन के भावो को व्यक्त किया है आपने.
    आपके पिताजी को विनम्र श्रद्धांजलि .

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  11. पिताजी को विनम्र श्रद्धांजलि

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  12. .



    पूज्य पिताजी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !

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  13. बहुत भावप्रवण मित्रवर। प्रभु का सामीप्य जिस व्यक्ति के प्रारब्ध में है,वही अंतिम क्षणों में आनंदित हो अपने प्राण त्यागता है।

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  14. संत हृदय वाले लोग ही जीवन मृत्यु के साथ सामंजस्य बिठा पाते हैं!
    आत्मरूप में वे आज भी आपके साथ ही होंगे!

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  15. baba ko meri hardik shradhanjali. . best of the poems!!

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  16. भावुक करती हुई रचना ..
    पिताजी को भावभीनी श्रधांजलि

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  17. पूज्यनीय पिताजी को मेरी विनम्र श्रधांजलि.

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  18. पूजनीय पिताजी को विनम्र श्रद्धांजलि

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