31 July, 2017

गये भगवान छुट्टी पर, कहाँ घंटा बजाते हो।

 गये भगवान छुट्टी पर, कहाँ घंटा बजाते हो।
कहाँ चन्दन लगाया है, कहाँ माला चढ़ाते हो।।

चलो उस पार्क में चलते, जहाँ कुछ वृद्ध आते हैं।
स्वजन सब व्यस्त हैं जिनके, चलो उनको हँसाते हैं।
सुनेंगे बात उनकी हम, कहो क्या साथ आते हो।
गये भगवान छुट्टी पर, कहाँ घंटा बजाते हो।।१।।

मिली गम्भीर हालत में, चिकित्सा कक्ष में लेटी।
प्रसव कल ही हुआ जैसे, लगे नवजात है बेटी।
चलो रविकर मदद करने, अगर तुम भी कमाते हो।
गये भगवान छुट्टी पर, कहाँ घंटा बजाते हो।।२।।

उड़ाये चार आतंकी, लगाया जान की बाजी ।
दिया बलिदान सैनिक ने, विकल पत्नी पिता माँ जी।
चलो ढाँढस बँधाते हैं, शहादत क्यूँ भुलाते हो।
गये भगवान छुट्टी पर, कहाँ घंटा बजाते हो।।३।।

हँसे ग्राहक खटे छोटू पड़ी बीमार माँ घर पर।
बहन छोटी करे सेवा कभी हँसकर कभी रो कर।
चलो देखो बड़ा कितना, हँसी जिसकी उड़ाते हो।
गये भगवान छुट्टी पर, कहाँ घंटा बजाते हो।।४।।




7 comments:

  1. बहुत सटीक.
    रामराम
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

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  2. वाह वाह....
    क्या खूब लिखा है....
    भगवान मंदिर में नहीं उन्हे ढूंढना है तो वृद्धौ के अकेलेपन में शहीद के रोते विलखते परिवार में गरीबों की मदद कर...पा सकते हैं...

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  3. बहुत शानदार गुरुदेव ब्लॉग की दुनिया में बहुत ही कम लोग होते हैं जिनको बार बार पढने का मन करता है।
    क्योंकि मेरा पसंदीदा पसंदीदा विषय यात्रा वृतांत है तो अधिकतर मुझे यात्रा से संबंधित लेख ही अच्छे लगते हैं लेकिन बीच-बीच में आप जैसे लेखक मन मोह लेते है।

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (02-08-2017) को गये भगवान छुट्टी पर, कहाँ घंटा बजाते हो; चर्चामंच 2685 पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. मुक्तक की सभी पंक्तियाँ मानवीय संवेदनाओं से लबरेज़ है। पढ़ने के बाद, कुछ करने को मज़बूर करती रचना।

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  6. सच है, यही प्रभू सेवा है

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