रोटी खाई घास की, नहीं झुकाया माथ।
चबवाया नाकों चने, ले भीलों का साथ ।
बोलो बच्चों क्यों चुपचाप ।
चीर बघनखे से चखे, वीर जीत का स्वाद ।
रखे हिंदवी राज को, सदियों तक आबाद ॥
उत्तर दो या हारो बाजी ।
बाँध पुत्र को पीठ पर, पड़ी शत्रु पर टूट ।
एक अकेली क्या करे, हाय आपसी फूट ।
जरा नाम तो बोलो भाई ।
नजरबन्द क्योंकर रहें, पहुँच गए जापान |
फौज बना के जंग का, कर देते ऐलान ||
उत्तर दे करिये जयघोष |
नजरबन्द क्योंकर रहें, पहुँच गए जापान |
फौज बना के जंग का, कर देते ऐलान ||
उत्तर दे करिये जयघोष |
कौआ कौआता रहा, कोयल चलती चाल |
अपने रख घोसले में, उसके गई निकाल |
उत्तर दो या खाओ डंडे ।
आसमान में दूर तक, तक तक हारा जंतु ।
पानी तो पूरा पड़ा, प्यासा मरा परन्तु ।
बूझ पहेली आज शाम तक ।
चलती दीखें पंक्ति में, चीनी उन्हें पसन्द।
माने कुल संकुल नियम, तुम भी सीखो चन्द ।
उत्तर देकर करिये पी टी ।
आसमान में दूर तक, तक तक हारा जंतु ।
पानी तो पूरा पड़ा, प्यासा मरा परन्तु ।
बूझ पहेली आज शाम तक ।
चलती दीखें पंक्ति में, चीनी उन्हें पसन्द।
माने कुल संकुल नियम, तुम भी सीखो चन्द ।
उत्तर देकर करिये पी टी ।
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बहुत बढ़िया बाल पहेलियाँ ....
ReplyDeleteनिराला अंदाज़ , मनभावन हमेशा की तरह !!
ReplyDeleteआभार भाई !!
अच्छी पहेलियाँ हैं। बच्चों के बीच रखूँगा।
ReplyDeleteइस मज़ेदार सामग्री को उपलब्ध कराने के लिए आदरणीय को आभार।
आपकी ये रचना चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.in/ पर चर्चा हेतू 11 अक्टूबर को प्रस्तुत की जाएगी। आप भी आइए।
ReplyDeleteस्वयं शून्य
ReplyDeleteबाँध पुत्र को पीठ पर, पड़ी शत्रु पर टूट ।
एक अकेली क्या करे, हाय आपसी फूट ।
जरा नाम तो बोलो भाई ।
महारानी लक्ष्मीबाई -
लक्ष्मी थी वो दुर्गा थी ,वो स्वयं वीरता की अवतार
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार .
waah ..bahut sundar paheliyan ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर पहेलियाँ
ReplyDeleteसुंदर बाल पहेलियाँ
ReplyDeleteBahut hi adbhut paheliyaan bahut khoob !!
ReplyDeleteवाह ... दमा दम ... लाजवाब पहिलियाँ ....
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