03 August, 2017

मुस्कान मेरी मौन मेरा शक्तिशाली अस्त्र हैं-

प्राय: समस्या से यहाँ कुछ लोग बेहद त्रस्त हैं। 
मुस्कान मेरी मौन मेरा शक्तिशाली अस्त्र हैं।
रविकर समस्यायें कई-मुस्कान से नित हल करे
फिर मौन रहकर वह समस्यायें नई रखता परे।।

कर सद्-विचारों का समर्थन दे रहा शुभकामना।
कुत्सित विचारों की किया रविकर हमेशा भर्त्सना।
पहचानना लेकिन कठिन सज्जन यहाँ दुर्जन यहाँ।
मुखड़े लगा के आदमी, करता यहाँ जब सामना।।

खिलाई थी सँवारी थी गया बचपन गई आया |
अँधेरे में सदा छोड़े बदन का साथ हम-साया |
बुढ़ापे में निभाती कब कभी अपनी तरुण काया |
चिता पर लेटते ही तो यहीं छूटे सकल माया ||

पुन: छोड़े अँधेरे में हमारा साथ हमसाया।
बुढ़ापे में हुई रविकर नियन्त्रण मुक्त मम काया।
मगर मद लोभ बढता क्रोध प्रतिपल काम भरमाये
चिता पर लाश लेटी तो, यहीं छूटी सकल माया।

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