(१)
पका-पकाया सूत्र है, पका-पकाया मन्त्र |
करो दुष्टता दुष्ट से, जो करता षड्यंत्र |
जो करता षड्यंत्र, तंत्र सक्रिय हो जाए |
कर समूल विध्वंश, नहीं अब बचने पाये |
रविकर हुआ बिलम्ब, घड़ा तो भरा पाप का |
दे रविकर झट फोड़, बढ़ें सम्मान आपका ||
(२)
मसले ना निपटा सके, पटा सके ना लोग।
मच्छर फैलाते रहे, मलेरिया सा रोग।
मलेरिया सा रोग, चिकित्सा नीम-हकीमी।
बढ़ता रहा बुखार, पड़ी धड़कन भी धीमी।
सत्ता से इक चाह, खत्म कर इनकी नस्लें।
मसले को निपटाय, फटाफट मच्छर मसले।
(३)
पिस्सू-मच्छर हैं चतुर, खटमल लिया पटाय |
करवाते खटिया खड़ी, जब-तब मौका पाय |
जब-तब मौका पाय, कान पर जूँ ना रेंगे ।
देंगे कड़े बयान, और कुछ नहीं करेंगे |
कुछ चीलर कुछ चील, कलम-द्रोही कुछ घिस्सू ।
करें समर्थन रोज, वहाँ हँसता है पिस्सू ||
(४)
जिन्दा हैं तो धन मिले, मर जाएँ तो हूर |
पत्थरबाजी कर रहे, कश्मीरी मगरूर |
कश्मीरी मगरूर, अगर बादल फट जाए |
फट जाए *तशरीफ़, और फिर सेना आए |
कह रविकर बेशर्म, नहीं होंगे शर्मिंदा |
लेंगे मदद तुरंत, ताकि बच जाएँ जिन्दा ||
*तशरीफ़ रखिये हुजूर
(५)
देख रहे है वानगी, जबर एक से एक |
दिखा रहे हैवानगी, रविकर शत्रु अनेक |
रविकर शत्रु अनेक, नाच नंगा करता है |
जब-तब लेता छेक, समय पानी भरता है |
दवा बढ़ाये मर्ज, भयंकर दर्द सहे हैं |
राम-वाण अब मार, दरिन्दा देख रहे हैं ||
वाह क्या बात है ।
ReplyDeletewah.. aapki lekhnee ka jawaab nahi.. aapki kalam ko mera pranam hai.
ReplyDelete