देखा हमने--
तारे - अम्बर, सूरज-चंदा,
बाढ़-अकाल,
धूप - छाँव |
धरती-सागर, बारिश-बादल,
लहरें- नाविक ,
साहिल-नाव ||
पर--
क्या देखा है ठनका
डर जन गन का--
उनके मनका ||
बारिश आई --
नदियाँ बौराई --
छत पर जमता पानी --
कड़के बिजली
गरजे बादल
चल--
साफ करें पनारा--
कचड़ा सारा |
और --
बस
गिरा ठनका
गया मारा --
बेचारा -
बेचारा -
कमाऊ पूत ||
देखकर ठनका की करतूत
ठनका मेरा माथा--
यह उसपर
हाँ उसपर
क्यूँ नहीं पड़ जाता ||
जो भ्रष्टाचार से
भौतिक सुख-सुविधा
और कालाधन कमाता ||
देखकर ठनका की करतूत
ReplyDeleteठनका मेरा माथा--
यह उसपर
हाँ उसपर
क्यूँ नहीं पड़ जाता ||
जो भ्रष्टाचार से
भौतिक सुख-सुविधा
और कालाधन कमाता |
उन पर कुछ नहीं पड़ता.
हाँ , उन पर कुछ नहीं पड़ता |
ReplyDeleteईश्वर को भी बुरों से डर लगता |