कुंडली
अच्छे अच्छे लाल से, सीखे सकल समाज ।
सामूहिक दुष्कर्म से, मरे मनुजता लाज ।
मरे मनुजता लाज, दोष क्या उसका भैया ?
चला बराती साज, वरे दुल्हन को सैंया ।
रविकर आशीर्वाद, नए जोड़े को देता ।
रहे सदा आबाद, बलैयाँ बम-बम लेता ।
दोहा
मरे मीडिया मुहुर्मुह, तड़क-भड़क पर रोज ।
पहल अनोखी को भला, कैसे लेवे खोज ??
दोहों और कुंडलियों की बरसात है आपका ब्लॉग दिनेश जी ...
ReplyDeleteआनद आ गया ...
अच्छे सार्थक दोहे...
ReplyDeleteशुक्रिया.
बहुत अच्छा.
ReplyDeletesundar rachna
ReplyDeleteसहज, सरल शब्दों के प्रयोग से सुंदर भावाभिव्यक्ति। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDelete"AAJ KA AGRA BLOG"
सुन्दर एवं सार्थक दोहे !
ReplyDeleteआभार !
आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (३३) में शामिल की गई है /आप आइये और अपने विचारों से अवगत करिए /आपका स्नेह और आशीर्वाद इस मंच को हमेशा मिलता रहे यही कामना है /आभार /
ReplyDeleteइसका लिंक है
http://hbfint.blogspot.in/2012/03/33-happy-holi.html
मरे मीडिया मुहुर्मुह, तड़क-भड़क पर रोज ।
ReplyDeleteपहल अनोखी को भला, कैसे लेवे खोज ??
मीडिया को चाहिये सनसनी ।