(1)
राहुल की खातिर करे, रस्ता अन्ना टीम ।
टीम-टाम होता ख़तम, जागे नीम हकीम ।
जागे नीम-हकीम, दवा भ्रष्टों को दे दी ।
पॉलिटिक्स की थीम, जलाए लंका भेदी ।
ग्यारह प्रतिशत वोट, काट कर अन्ना शातिर ।
एन डी ए को चोट, लगाएं राहुल खातिर ।।
(2)
माथा भन्नाता विकट, हजम करारी हार |
छाया सन्नाटा अटल, तम्बू-टेंट उखार |
तम्बू-टेंट उखार, खार खाए थी सत्ता |
हफ़्तों का उपवास, हिला न कोई पत्ता |
कांगरेस की जीत, निरंकुश उसे बनाए |
राजनीति की दौड़, अगर अन्ना लगवाये ||
(3)
कुलबुलाय कीड़ा-कपट, बेईमान इंसान ।
झूठ स्वयं से बोल के, छोड़ हटे मैदान |
छोड़ हटे मैदान, डटे थे बड़े शान से |
बार बार आमरण, निकाले खड्ग म्यान से |
अनशन अब बदनाम, महात्मा गांधी अन्ना |
खड्ग सिंह विश्वास, टूटता मिटी तमन्ना |
(4)
राष्ट्र कार्य करने चले, किन्तु मृत्यु भय साथ |
लगा नहीं सकते गले, फिर ओखल क्यूँ माथ ?
फिर ओखल क्यूँ माथ, माथ पर हम बैठाए |
देते पूरा साथ, हाथ हर समय बढाए |
आन्दोलन की मौत, निराशा घर घर छाई |
लोकपाल की करें, आज सब पूर्ण विदाई ||
(5)
वोटर भकुवा क्या करे, वोटर जाति-परस्त ।
बिरादरी को वोट दे, हो जाता है मस्त ।
हो जाता है मस्त, पार्टी मुखिया अपना ।
या फिर कंडीडेट, जाति का देखे सपना ।
चले लीक को छोड़, हिकारत भरी निगाहें ।
इसीलिए हैं कठिन, यहाँ सत्ता की राहें ।।
(6)
यादव-मुस्लिम की सपा, धता रही बतलाय ।
कहे राम गोपाल जी, अन्ना टीम जताय।
अन्ना टीम जताय, जमानत बच न पाए ।
अपना कंडीडेट, अगर अन्ना लडवाए |
किन्तु सफा इक बात, वोट अच्छा वह काटे |
बड़े विपक्षी वोट, यहाँ कांग्रेस हित बांटे ||
(7)
गिरगिटान कश्मीर पर, दिखलाये निज रंग ।
देखो अन्ना टीम का, बदला बदला ढंग ।
बदला बदला ढंग, चुकाया बढ़िया बदला ।
चोला बदले छद्म, बना के सबको पगला ।
भाजप राजद शरद, सपा तृण-मूल खलेगा ।
बासठ शठ दल खड़े, तिर-शठ वां भी छलेगा ।
राहुल की खातिर करे, रस्ता अन्ना टीम ।
टीम-टाम होता ख़तम, जागे नीम हकीम ।
जागे नीम-हकीम, दवा भ्रष्टों को दे दी ।
पॉलिटिक्स की थीम, जलाए लंका भेदी ।
ग्यारह प्रतिशत वोट, काट कर अन्ना शातिर ।
एन डी ए को चोट, लगाएं राहुल खातिर ।।
(2)
माथा भन्नाता विकट, हजम करारी हार |
छाया सन्नाटा अटल, तम्बू-टेंट उखार |
तम्बू-टेंट उखार, खार खाए थी सत्ता |
हफ़्तों का उपवास, हिला न कोई पत्ता |
कांगरेस की जीत, निरंकुश उसे बनाए |
राजनीति की दौड़, अगर अन्ना लगवाये ||
(3)
कुलबुलाय कीड़ा-कपट, बेईमान इंसान ।
झूठ स्वयं से बोल के, छोड़ हटे मैदान |
छोड़ हटे मैदान, डटे थे बड़े शान से |
बार बार आमरण, निकाले खड्ग म्यान से |
अनशन अब बदनाम, महात्मा गांधी अन्ना |
खड्ग सिंह विश्वास, टूटता मिटी तमन्ना |
(4)
राष्ट्र कार्य करने चले, किन्तु मृत्यु भय साथ |
लगा नहीं सकते गले, फिर ओखल क्यूँ माथ ?
फिर ओखल क्यूँ माथ, माथ पर हम बैठाए |
देते पूरा साथ, हाथ हर समय बढाए |
आन्दोलन की मौत, निराशा घर घर छाई |
लोकपाल की करें, आज सब पूर्ण विदाई ||
(5)
वोटर भकुवा क्या करे, वोटर जाति-परस्त ।
बिरादरी को वोट दे, हो जाता है मस्त ।
हो जाता है मस्त, पार्टी मुखिया अपना ।
या फिर कंडीडेट, जाति का देखे सपना ।
चले लीक को छोड़, हिकारत भरी निगाहें ।
इसीलिए हैं कठिन, यहाँ सत्ता की राहें ।।
(6)
यादव-मुस्लिम की सपा, धता रही बतलाय ।
कहे राम गोपाल जी, अन्ना टीम जताय।
अन्ना टीम जताय, जमानत बच न पाए ।
अपना कंडीडेट, अगर अन्ना लडवाए |
किन्तु सफा इक बात, वोट अच्छा वह काटे |
बड़े विपक्षी वोट, यहाँ कांग्रेस हित बांटे ||
(7)
गिरगिटान कश्मीर पर, दिखलाये निज रंग ।
देखो अन्ना टीम का, बदला बदला ढंग ।
बदला बदला ढंग, चुकाया बढ़िया बदला ।
चोला बदले छद्म, बना के सबको पगला ।
भाजप राजद शरद, सपा तृण-मूल खलेगा ।
बासठ शठ दल खड़े, तिर-शठ वां भी छलेगा ।
(8)
इकसठ सठ सेठा भये, इक सठ आये और |
वा-सठ सड़-सठ गिन रहे, लेकिन करिए गौर |
लेकिन करिए गौर, चौर की चर्चा चालू |
रखिये निज सिर मौर, दौर चालू जब टालू |
लाखों भरे विभेद, चुनौती बहुत बड़ी है |
दुर्जन रहे खरेद, व्यवस्था सड़ी पड़ी है ||
इकसठ सठ सेठा भये, इक सठ आये और |
वा-सठ सड़-सठ गिन रहे, लेकिन करिए गौर |
लेकिन करिए गौर, चौर की चर्चा चालू |
रखिये निज सिर मौर, दौर चालू जब टालू |
लाखों भरे विभेद, चुनौती बहुत बड़ी है |
दुर्जन रहे खरेद, व्यवस्था सड़ी पड़ी है ||
मसालेदार है
ReplyDeleteमसाला रह गया
दाल बेकार है !
ये बात आपकी सच है । वोट तो एन डी ए के ही कटेंगे ।
ReplyDeleteसोचने वाली बात है ... एन डी ए के लिए ...
ReplyDeleteअन्ना टीम जताय, जमानत बच न पाए ।
ReplyDeleteअपना कंडीडेट, अगर अन्ना लडवाए |