11 August, 2012

देता दंगे न्योत, दहलती गई मुंबई-

  1. Anti-Assam riot protest turns violent in Mumbai; 2 killed

    Zee News‎ - 10 minutes ago
    The protest by several Muslim organisations at Mumbai`s Azad Maidan against the recent riots in Assam and alleged attacks on Muslims in Myanmar turned ...

 करे खिलाफत मौत की, दे देता है मौत |
दंगों की दुर्दशा पर, देता दंगे न्योत |

देता दंगे न्योत, दहलती गई मुंबई |
होती दो की मौत, समस्या बड़ी वाकई |

जय बँगला के बोल, खोल कर आँखे रखना |
मुहाजिरी यह जोर, कहीं न पड़े बिलखना ||

मचे मुंबई चिल्ल-पों, फूँकी ओ बी वैन-


Mumbai: 5.13 pm: Assam Chief Minister Tarun Gogoi appeals for peace in Mumbai. "I will talk to the Maharashtra Chief Minister," says Gogoi.
4.35 pm: 10 BEST buses have been damaged.
4.26 pm: Police say situation is now under control. RAF has been deployed at the site, Mumbai Police Commissioner and other senior officers are also at the site.




मचे मुंबई चिल्ल-पों, फूँकी ओ बी वैन |
किस दल का था मोर्चा, है क्यूँ सेंसर-बैन ??

 है क्यूँ सेंसर बैन, मीडिया इस पर चुप है ??

असम मार-म्यांमार, जाति सत्ता लोलुप है |

हुई बड़ी घुसपैठ, बैठ के नीति विचारों |
बुरा अन्यथा हस्र, तोड़ते  खम्भे चारो ||

भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने मीडिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि (अण्णा हजारे के) आन्दोलन के दौरान मीडिया का एक बड़ा हिस्सा भावनाओं में बह गया और उसने गैर जिम्मेदाराना बर्ताव किया। काटजू ने स्पष्ट कहा कि तटस्थ भाव से रिपोर्टिंग करने के बजाय वे खुद आन्दोलन का हिस्सा बन गये। काटजू ने कहा, ”आपमें (पत्रकारों में) गुणदोष के आधार पर विवेचना की क्षमता होनी चाहिये। आपको घटनाओं का तार्किक विश्लेषण करना था। लेकिन आप भी उसी जज्बात में बह गए। …. बाबरी मस्जिद आन्दोलन के दौरान भी हिंदी प्रेस का एक हिस्सा कारसेवक हो गया था। यह मीडिया का भारी दोष था।”


जब-तब हिन्दुस्तान सिर्फ दो दंगे नामी-

को-कर-झारे असम को, दंगाई मस्तान |
दंगों को झेला किया, जब-तब हिन्दुस्तान |

जब-तब हिन्दुस्तान, सिर्फ दो दंगे नामी |
धत दिल्ली गुजरात, असम में क्या है खामी |

जलते मरते लोग, शिविर में लाशें हाजिर |
 सरकारों का ढोंग, नहीं क्या सत्ता खातिर  ??

4 comments:

  1. जय बँगला के बोल, खोल कर आँखे रखना |
    मुहाजिरी यह जोर, कहीं न पड़े बिलखना ||
    सेकुलर वीरों के मुंह लगे टुकड़ खोर हैं ये दंगे करने वाले ,वो जो हिंदी सीख गई है राष्ट्री समस्याओं पर चुप्पा उसका शर्मनाक है .कृपया यहाँ भी तवज्जो दें -
    शनिवार, 11 अगस्त 2012
    कंधों , बाजू और हाथों की तकलीफों के लिए भी है का -इरो -प्रेक्टिक

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