(1)
मार मजा रमजान में, क्या ढाका बगदाद।
मार मजा रमजान में, क्या ढाका बगदाद।
क्या मजाल सरकार की, रोक सके उन्माद।
रोक सके उन्माद, फिदाइन होते हमले।
क्या ये लोकल लाश, यही पहचानो पहले।
फिर पकड़ो परिवार, बनाओ उनका कीमा।
निश्चय ही आतंक, पड़ेगा रविकर धीमा।।
(2)
(2)
मन की सुंदर सोच से, सुंदर हो संसार।
लेकिन उनका क्या करें, जिनका मन हत्यार।
जिनका मन हत्यार, चले हथियार उठाये।
जहां तहाँ दे मार, जहाँ जो मन को भाये।
छाया है आतंक, तयारी कर लो रन की।
अब तो मन की छोड़, कीजिये फ़िक्र अमन की ।
मन हत्यार वाह ।
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