19 January, 2017
जब नारि रो के कम करे गम मर्द रोके अश्रु सारे
जब छोड़ कर जाते बड़े तो भाग्य छोटों का संवारे।
भाई-बहन को कर प्रतिष्ठित स्वयं की वह चाह मारे।
बच्चे मनाकर पर्व नौ नौ, बाप की बखिया उघारे।
जब नारि रो के कम करे गम मर्द रोके अश्रु सारे।
1 comment:
Sudha Devrani
25 January 2017 at 09:52
वाह!!बहुत खूब।
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वाह!!बहुत खूब।
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