03 August, 2020

लोकजीवन में राम

श्री राम कैकेयी सुमित्रा मातु कौशल्या कहो।
सीता अहिल्या सुपनखा मन्दोदरी शबरी अहो।
जय मातु अनुसुइया जयतु जय ताड़का जय मन्थरा।
जय मांडवी जय उर्मिला श्रुतकीर्ति जय पावन धरा।।

इतिहास गोस्वामी लिखे "तुलसी-शतक" तथ्यों भरी।
श्री राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बनी थी बाबरी।।
उस मीर बाँकी ने अयोध्या में किया विध्वंश था ।
सरयू हुई थी लाल मुगलों ने दिया जब दंश था।।

इतिहास उन्नति का लिखा, बाँटा परस्पर प्यार जब।
शुभ ग्रन्थ रामायण रचा, पूजा करे संसार सब। 
सम्पत्ति जब बाँटी गयी, अवनति हुई थी तब बड़ी-
रविकर महाभारत छिड़ी, बचता भला फिर कौन कब।।

मुनि श्रेष्ठ चले मिथिलापुर को,  सँग साँवर-गोर कुमार गये।
पग-धूलि लगी जब पाहन पे तब गौतम नारि'क तार गये। 
फुलवारि गये सिय दर्शन पा, दिल से रघुनंदन हार गये।
मन जीत परस्पर राम सिया मन से मन में भर प्यार गये।।

 लोकजीवन में राम 

हरे राम का जाप करे मन, विजयघोष कर जय श्री राम। 
दुख से पीड़ित हाय राम कह, लेता रहे राम का नाम। 
होता रा शब्द विश्व वाचक, ईश्वर वाचक शब्द मकार। 
लोकों के ईश्वर हैं रामा, करवाते भवसागर पार।। 

अंत समय हे राम पुकारे, बापू बाबा हिन्दु तमाम। 
राम नाम ही सत्य सर्वथा, अंत समय दे चिर-आराम।। 
मुँह में राम बगल में छूरी, अवसर पाकर करे हलाल। 
आया राम गया भी रामा, पाला बदले पाकर माल।। 
राम राम कब पढ़े भला वह, बूढ़ा सुग्गा करे बवाल। 
अपनी राम कहानी कहता, सुने न और किसी का हाल।। 
सियाराम मय सब जग जानी, करें परस्पर सुबह प्रणाम। 
राम भरोसे दुनिया भर के, बन जाते हैं बिगड़े काम। 

रखे राम जाही विधि रविकर,  ताही विधि रहते हैं लोग। 
जिसके राम धनी उसको फिर, कौन कमी कर लो उपभोग। 
राम राम ही जपकर दुर्जन, अपना करें पराया माल । 
कर ले सो शुभकाम भले मन, भज ले सो श्री राम कृपाल।
खाली डिब्बे को भी खाली, कहा नहीं जाता श्रीमान्। 
राम राम है उसके अंदर, दे दो यह आध्यात्मिक ज्ञान।। 
दुविधा में दोऊ चल जाते, माया मिली न राम उदार। 
राम नाम में बड़ा आलसी, भोजन में लेकिन हुशियार।। 

कहो कहाँ यह टाँय टाँय है, राम राम की कहाँ पुकार। 
राम मिलाई जोड़ी बढ़िया, इक अंधा इक कोढ़ी यार।। 
राम नाम मणि दीप समाना ,मनुआ श्वाँस श्वाँस उजियार। 
राम ध्यान हो प्रानाप्राना , पाप पुण्य चरणन मे वार।। 
यजन भजन पूजन आराधन, साधक साधन से आनन्द। 
मन आंगन हो जब भुषुण्ड सम , तब मन प्रगटे कौशल चंद।।
राम नाम की लूट मची है, लूट सको तो लूटो भक्त।
वरना अंतकाल पछताना, जब हो जाये देह अशक्त।।

सात-सात हैं पूत राम के, किन्तु काम का एक न दीख।
अगर राम जी की है बकरी, खेत राम जी के हैं सीख। 
खाता को दाता प्रभु रामा, भजते रहो राम का नाम। 
अगर बिगाड़े राम नहीं तो, कौन बिगाड़े रविकर काम।।
जापर कृपा राम जी करते, करे कृपा उसपर संसार।
राम शपथ सत कहूं सुभाऊ, प्रभु की महिमा अपरंपार। 
नाप-तौल-गणना की पहली, गिनती बोली जाती राम । 
बोल सियावर रामचंद्र की, जय जय जयतु अयोध्या-धाम।।

1 comment:

  1. लाजवाब। अच्छा लगा आपको चिट्ठे में सक्रिय देख कर।

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