वायदा किया था अठहत्तर में पर |
आज निन्यानवे का नया फेर है --
छोड़ छुट्टा दिया न रहा काम का
अब समय-सेर के सिर सवा सेर है ||
था दिया के तले तब अँधेरा बहुत
था दिया के तले तब अँधेरा बहुत
आज ऊपर अँधेरा दिया के किया |
मै समझता रहा बीस बस बीस में
अब न आये तो आओगे कब तुम सनम
ReplyDeleteकितने पतझड़ गए,कितने मौसम गुजर |
दिन का यौवन ढला, धूप मद्धिम हुई
तेज 'रविकर' घटा, कब तक ताकूँ डगर ||
बहुत खूब .