ram ram bhai पर मेरी टिप्पणी
जिम्मेदारी के लिए, हो जाओ तैयार,
बच्चों के प्रति है अगर, थोडा सा भी प्यार |
थोडा सा भी प्यार, बड़ा विश्वास जगाओ--
सबसे पहले स्वयं, कठिन संयम अपनाओ |
है जो बात जरुरी, उसकी करो तैयारी |
नैतिक शिक्षा हुई , आज की जिम्मेदारी ||
स्नेहमयी स्पर्श की, अपनी इक पहिचान,
बुरी-नियत संपर्क का, चलो दिलाते ध्यान |
चलो दिलाते ध्यान, बताना बहुत जरुरी,
दिखे भेड़ की खाल, बना के रक्खे दूरी |
करो परीक्षण स्वयं, बताओ सीधा रस्ता,
घर आये चुपचाप, उठा के अपना बस्ता ||
पहली कक्षा में सिखा, सेहत के सब राज,
और आठवीं में बता , सब अंगों के काज |
सब अंगों के काज, मगर विश्वास जरुरी,
धीरे - धीरे शांत, करो उत्सुकता पूरी |
खतरे - रोग - निदान, बताना एक - एक कर,
पशु-पिशाच की भीड़ , हमेशा देख-रेख कर ||
चंचल मन पर क्या कभी, चला किसी का जोर
हलकी सी बहती हवा, आग लगाए घोर |
आग लगाए घोर, बचाना चिंगारी से,
पढना लिखना खेल, सिखाओ हुशियारी से |
कह रविकर समझाए, अगर पढने में कच्चा,
रखिये ज्यादा ध्यान, बिगड़ जाये न बच्चा ||
बच्चों को भी हो पता, होवेगा कब व्याह,
रोजगार से लग चुका, तब भी भरता आह |
तब भी भरता आह, हुवा वो पैंतिस साला--
बढ़ जाते हैं चांस, करे न मुँह को काला |
सही समय पर व्याह, कराओ उसका भाई,
इधर-उधर हर-रोज करे न कहीं सगाई ||
हा हा हा
ReplyDeleteतब भी भरता आह, हुवा वो पैंतिस साला--
बढ़ जाते हैं चांस, करे न मुँह को काला |
सही समय पर व्याह, कराओ उसका भाई,
इधर-उधर हर-रोज करे न कहीं सगाई ||
हा हा हा अब क्या कहूं आगे बात सही है भाई
बीरुभाई की एक चर्चित पोस्ट पर ये टिप्पणी की थी |
ReplyDeleteमुझे लगा --
इसे तो खुली पोस्ट के रूप में
डालना ही चाहिए --
सो आपके सामने हैं ||
बहुत-बहुत आभार ||
स्नेहमयी स्पर्श की, अपनी इक पहिचान,
ReplyDeleteबुरी-नियत संपर्क का, चलो दिलाते ध्यान |
चलो दिलाते ध्यान, बताना बहुत जरुरी,
दिखे भेड़ की खाल, बना के रक्खे दूरी |
करो परीक्षण स्वयं, बताओ सीधा रस्ता,
घर आये चुपचाप, उठा के अपना बस्ता ||badhiya
सुन्दर सीख भरी रचना
ReplyDeleteबच्चों को भी हो पता, होवेगा कब व्याह,
ReplyDeleteरोजगार से लग चुका, तब भी भरता आह |
तब भी भरता आह, हुवा वो पैंतिस साला--
बढ़ जाते हैं चांस, करे न मुँह को काला |
सही समय पर व्याह, कराओ उसका भाई,
इधर-उधर हर-रोज करे न कहीं सगाई ||
बहुत सही कहा आभार.
सबसे पहले स्वयं, कठिन संयम अपनाओ.............
ReplyDeleteकरो परीक्षण स्वयं, बताओ सीधा रस्ता,............
और आठवीं में बता , सब अंगों के काज.............
हलकी सी बहती हवा, आग लगाए घोर .........
सही समय पर व्याह, कराओ उसका भाई.........
एक सदगृहस्थ के लिए तमाम जरूरी बातों पर प्रकाश डाला है आपने| बधाई इस प्रस्तुति के लिए|
सुन्दर सीख भरी रचना
ReplyDeleteQuite impressive creation !..Very meaningful indeed.
ReplyDeleteआपके एक एक सुझाव से पूर्ण सहमति है...
ReplyDeleteबाकी रचना सौन्दर्य की तो क्या कहूँ....लाजवाब !!!!