14 July, 2011

दुश्मनों से बड़ी नरमी

पकडे गए  इन  दुश्मनों ने, 
भोज  सालों  है किया |
मारे गए  उन  दुश्मनों की 
लाश को इज्जत दिया ||

लाश  को  ताबूत  में  रख
पाक  को  भेजा  किये |
शिकायत यह नहीं कि
आप कुछ बेजा किये ---
 राम-लीला   हो    रही |
 है सही बिलकुल सही ||  

रेल के  घायल कराहें,
कर्मियों  की नजर मैली |
जेब कितनों की कटी, 
लुट गए असबाब-थैली |  

तृन-मूली  रेलमंत्री 
यात्री सब घास-मूली 
संग में जाकर बॉस के
कर रहे थे अलग रैली | 

राम-लीला   हो   रही |
हैही बिलकुल सही ||

नक्सली हमले में उड़ते 
वाहनों संग पुलिसकर्मी |
कूड़ा  गाडी  में   ढोवाये, 
व्यवस्था है या बेशर्मी |

दोस्तों संग दुश्मनी तो 
दुश्मनों से  बड़ी  नरमी ||
राम-लीला    हो    रही |
है सही बिलकुल सही ||

5 comments:

  1. वास्तविकता का सही चित्रण किया है आपने.

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  2. व्यवस्था की बखूबी बखिया उघेरती झकझोरती...अतिसर्थक रचना....

    साधुवाद !!!!

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  3. अब्यवस्था की पोल खोलती ..अंतर्मन को झकझोरती यथार्थ का चित्रण करती सार्थक रचना....अभिनन्दन !!!

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  4. वास्तविकता का सही चित्रण किया है आपने.

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