घन घड़-घडात बा , रोज बरस जात बा,
ताल नद अघात बा , पानी घनघोर बा |
अतड़ी कुलबुलात, रोज कमा रोज खात,
कहीं नहीं अन्न पात, थका पोर-पोर बा |
जमींदार, साहूकार, देवें नाहीं एहि बार,
हवालाते पड़े - सड़े, पक्का जमाखोर बा |
नैनी हो या मुक्तसर, गेहूं सड़ा रोड पर,
चहुँ ओर भुखमरी, खाद्य-मंत्री ढोर बा ||
ताल नद अघात बा , पानी घनघोर बा |
अतड़ी कुलबुलात, रोज कमा रोज खात,
कहीं नहीं अन्न पात, थका पोर-पोर बा |
जमींदार, साहूकार, देवें नाहीं एहि बार,
हवालाते पड़े - सड़े, पक्का जमाखोर बा |
नैनी हो या मुक्तसर, गेहूं सड़ा रोड पर,
चहुँ ओर भुखमरी, खाद्य-मंत्री ढोर बा ||
आप की घनाक्षरी जोरदार है और समस्या पूर्ति की ऐतिहासिक पोस्ट का हिस्सा है
ReplyDeleteघनाक्षरी समापन पोस्ट - १० कवि, २३ भाषा-बोली, २५ छन्द
नैनी हो या मुक्तसर, गेहूं सड़ा रोड पर,
ReplyDeleteचहुँ ओर भुखमरी, खाद्य-मंत्री ढोर बा ||
कमाल कमाल कमाल। आपका हर ब्लाग कमाल का है पहली बार देखे आज सभी ब्लाग। बधाई आपको।
अहा हा...अद्भुत रचना है..शब्द शब्द सच्चाई बयां करती हुई...
ReplyDeleteनीरज
शब्दों का अद्भुत समावेश .....बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है .....
ReplyDeleteआहा .. ये तो नवीन जी के ब्लॉग पर भी पढ़ा ... गज़ब का शब्द संयोजन किया है अओने दिनेश जी ... मज़ा आ गया ...
ReplyDeleteकमाल लिखते है आप....घनघोर शब्द बरसा दिए है....
ReplyDeleteसुन्दर
आदर सहित
सुन्दर रचना. आभार.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteशब्द-शब्द घनघनात बा ...!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर ..!!
सुन्दर रचना।
ReplyDeleteबेहद सटीक शब्द भेदी बाण सत्ता के कानों पर जूँ रेंगे न रे .
ReplyDeleteBahut hi sundar
ReplyDeletenaya hu,aap sab ka sahiyog
link: http//bachpan ke din-vishy.blogspot.com/
बहुत ही सुन्दर....
ReplyDeleteaapka bhi jabab nahi hai..aapki racnayein kai baar padhne ka man karta hai..sadar pranam ke sath
ReplyDeletebhaut hi sundar shabd rachna...
ReplyDeleteshandar...
ReplyDeletesadar.
kin shabdo me tarif karo...shbda nahi mil rahe hai ....dam-damkat ba kavita jordar hai
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