भैया जी शुभकामना, काम मना पर आज |
जन्म दिवस लेते मना, रविकर दे आवाज | रविकर दे आवाज, कहीं कविता हो जाती | मित्र मंडली साज, साँझ होती मदमाती | दुर्मिल मदिरा गीत, सभी में दिखें सवैया | रहो स्वस्थ सानन्द, मगन मन हरदम भैया ||
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भैया जी शुभकामना, काम मना पर आज |
जन्म दिवस लेते मना, रविकर दे आवाज | रविकर दे आवाज, कहीं कविता हो जाती | मित्र मंडली साज, साँझ होती मदमाती | दुर्मिल मदिरा गीत, सभी में दिखें सवैया | रहो स्वस्थ सानन्द, मगन मन हरदम भैया ||
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अरुण जी को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएं मेरी ओर से भी।
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteशुभकामनाएँ
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएं जी
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
Aapki geet bhari shubh kamnaon ke sath Arun ji ko hamari bhee shubh kamnaen.
ReplyDeleteभैया जी शुभकामना, काम मना पर आज |
ReplyDeleteजन्म दिवस लेते मना, रविकर दे आवाज |
रविकर दे आवाज, कहीं कविता हो जाती |
मित्र मंडली साज, साँझ होती मदमाती |
दुर्मिल मदिरा गीत, सभी में दिखें सवैया |
रहो स्वस्थ सानन्द, मगन मन हरदम भैया ||
बढ़िया जन्मांजलि .सुन्दर मनोहर .
ॐ शांति। दिल कहे बाबा तेरा शुक्रिया।
ReplyDeleteमुबारक जन्म दिन मुबाराक मित्रता और मित्रता दिवस। ॐ शान्ति। ऐसे ही रचनात्मक बने रहो खिलते रहो ब्लॉग गगन पर।
ढेरों शुभकामनायें
ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुतिचर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर तौफा है दोस्त को दोस्त का .ॐ शान्ति
ReplyDeleteपाई है शुभकामना , हृदय कहे आभार
ReplyDeleteबनी रहे यह मित्रता , बना रहे यह प्यार
बना रहे यह प्यार,रहे जब तक यह काया
हरदम ही सिरमौर , रहे मित्रों का साया
कुण्डलिया हो देह , छंद साँसों में भाई
दोहे हों दो हाथ , बिछे अंतस् चौपाई ||
सादर......
बहुत बढ़िया-
Deleteअंतिम दो पंक्तियों ने तो लूट लिया भाई जी-
सादर
कुण्डलिया हों देह सी, तंत्र तथा हठयोग |
सूक्ष्म मूल-आधार की, करके शक्ति प्रयोग |
करके शक्ति प्रयोग, लोक कल्याण कीजिये |
दोहे दो दो हाथ, हमेशा दान दीजिये |
अन्तर का उन्माद, रचे चौपाई बढ़िया-
बहुत बहुत आभार, किया जागृत कुण्डलिया |
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteअरुण जी को उनके जन्मदिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ !!
Hardik shubhkamnayein.
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