"चोर चोरी से जाये, हेराफेरी से ना जाये"... इस बार संसद के पूरे सत्र में चोरों ने बड़ी सफाई से न केवल अपने पिछली चोरी पर से ध्यान हटवाने में सफलता पायी अपितु जनता के 'स्वयंभू' अगुआओं के निर्देशन में कमज़ोरी भी झलका दी. "ये आधी सफलता है... अभी पूरी होना बाक़ी." ....... चलो इसी परीक्षा परिणाम पर संतोष कर लेते हैं. नहीं तो परीक्षार्थी [विद्यार्थी] आत्महत्या कर लेता. मुझे लगता है दुष्टों के खिलाफ .... अनशन, सत्याग्रह आदि हथियार देश को नैतिक मूल्यों के प्रति सजग करने तक तो ठीक हैं किन्तु व्यापक बदलाव के लिये बड़ा विकल्प दिया जाना बेहद जरूरी है. नहीं तो इस बार भी इतिहास दोहराया जायेगा.... 'नेहरूद्दीन' या गांधी नाम का नया यूज़र .. फिर से गांधी के 'नवीन संस्करण' अन्ना को छल ले जायेगा. मित्रो, सावधान... रविकर जी आपकी कविताई की धार अत्यंत तीव्र होती है... असर करती है. मेरी कामना है कि यह कभी कुंद न पड़ने पाये.
रंगारंग बधाई
ReplyDeleteआपको भी बधाई हो .
ReplyDeleteसुन्दर...
ReplyDeleteबहुत बधाई...
@वक्कालों की हुई, आज फिर सफल प्रैक्टिस |
ReplyDeleteगौर करने वाली पंक्ति है..
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 29-08-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
ReplyDeleteवाह …………बहुत सुन्दर्।
ReplyDeleteटीमन्ना की ना हुई कोई तमन्ना पूर.
ReplyDeleteजान बचाते ही दिखे शासन होता क्रूर.
धूर्तों की खिचड़ी पकी, हंडिया जबकि दूर.
प्रेम भाव से परसते, अन्ना हैं मजबूर.
रविकर जी हैं सोचते किसका कहाँ कसूर.
देश प्रेम में बन रही, जनता अन्ना-सूर.
"चोर चोरी से जाये, हेराफेरी से ना जाये"...
ReplyDeleteइस बार संसद के पूरे सत्र में चोरों ने बड़ी सफाई से न केवल अपने पिछली चोरी पर से ध्यान हटवाने में सफलता पायी अपितु जनता के 'स्वयंभू' अगुआओं के निर्देशन में कमज़ोरी भी झलका दी.
"ये आधी सफलता है... अभी पूरी होना बाक़ी." ....... चलो इसी परीक्षा परिणाम पर संतोष कर लेते हैं. नहीं तो परीक्षार्थी [विद्यार्थी] आत्महत्या कर लेता.
मुझे लगता है दुष्टों के खिलाफ .... अनशन, सत्याग्रह आदि हथियार देश को नैतिक मूल्यों के प्रति सजग करने तक तो ठीक हैं किन्तु व्यापक बदलाव के लिये बड़ा विकल्प दिया जाना बेहद जरूरी है.
नहीं तो इस बार भी इतिहास दोहराया जायेगा.... 'नेहरूद्दीन' या गांधी नाम का नया यूज़र .. फिर से गांधी के 'नवीन संस्करण' अन्ना को छल ले जायेगा.
मित्रो, सावधान... रविकर जी आपकी कविताई की धार अत्यंत तीव्र होती है... असर करती है.
मेरी कामना है कि यह कभी कुंद न पड़ने पाये.
आदरणीय रविकरजी
ReplyDeleteवाह मन प्रसन्न कर दिया
बहुत सुन्दर्
बधाई एवं शुभकामनाएं 1 ब्लॉग सबका ... की तरफ से
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई...
सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत बधाई...
bahut sundar post
ReplyDeleteबहुत सुन्दर्
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनाएं .......
बहुत सुन्दर...बधाई...
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