" भारतीय रेल"
खुद साजो-सामान की
चोर-उचक्के घूमते, पक्का मौका-ताक |
नजर हटी चम्पत हुए, लगा के रखो लाक ||
लगा के रखो लाक, टूट जायेंगे पल में ,
जहर-खुरानी चूक, ढाल लेंगे बोतल में |
कह रविकर समझाय, बहुत धंधे में पक्के |
बने रनिंग-स्टाफ, सभी ये चोर - उचक्के ||
हटी सावधानी, घटी घटना |आगरा, जबलपुर या पटना ||
"दिल्ली"
आवभगत मेहमान की आतंकी हमलों की आदी, भारत की आबादी,
आतिशबाजी अतिवादी की, दिल्ली करती शादी |
विध्वंसक हथियारों को ले, पाक हुआ बाराती--
चलो-चलो रे ! ब्याही जाती, सरकारी-शहजादी ||
--सुबोध-कान्त "भारत"
खुद के जानो-माल की
शासन को सौ काम हैं, मन में राखो गोय ,
जहाँ-तहाँ बम फोड़ता, कहाँ बचायें तोय |
कहाँ बचायें तोय, धमाके होते अक्सर,
करो हिफाजत आप, यही है सबसे बेहतर |
चिदंबरम की चीख, बड़ा फोड़ू है अनशन,
बना प्राथमिक काम, बझा इसमें ही शासन ||
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 12-09-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
ReplyDeleteबहुत खूब....
ReplyDeleteआतंकी हमलों की आदी, भारत की आबादी,
ReplyDeleteशासन को सौ काम हैं, मन में राखो गोय ,
जहाँ-तहाँ बम फोड़ता, कहाँ बचायें तोय |
ये सब हम सबको समझना ही होगा ....
bahut khoob.
ReplyDeleteसुंदर कुंडलियाँ बधाई और शुभकामनायें
ReplyDeleteसुन्दर....
ReplyDeleteचिदंबरम की चीख, बड़ा फोड़ू है अनशन,
ReplyDeleteबना प्राथमिक काम, बझा इसमें ही शासन ||
सरकार को जिनसे खतरा है वहीं तो चौकसी करेंगे ... अच्छी प्रस्तुति
कड़वा सच
ReplyDeleteकरो हिफाजत आप, यही है सबसे बेहतर |
सटीक सार्थक लाजवाब....
ReplyDeleteदोहों में यथार्थ उतार लिया आपने...
वाह !!!!
आपकी रचनात्मक क्षमता और ऊर्जा का दिनों दिन मैं तो कायल होते जा रहा हूं।
ReplyDeleteरविकर जी आपकी कुंडली और चौपाइयां जोरदार हैं ।
ReplyDeleteसही है सरकार को सौ काम है वह कहां तक हमारी हिफाजत करेगी ।
चोर-उचक्के घूमते, पक्का मौका-ताक |
ReplyDeleteनजर हटी चम्पत हुए, लगा के रखो लाक ||
लगा के रखो लाक, टूट जायेंगे पल में ,
जहर-खुरानी चूक, ढाल लेंगे बोतल में |
कह रविकर समझाय, बहुत धंधे में पक्के |
बने रनिंग-स्टाफ, सभी ये चोर - उचक्के ||
हटी सावधानी, घटी घटना |
आगरा, जबलपुर या पटना ||यही अब गांधी बाबा की रेल ,राहुलिया वन्श्वेल ...
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/09/blog-post_13.हटमल
अफवाह फैलाना नहीं है वकील का काम .
"दिल्ली"
ReplyDeleteआवभगत मेहमान की
आतंकी हमलों की आदी, भारत की आबादी,
आतिशबाजी अतिवादी की, दिल्ली करती शादी |
विध्वंसक हथियारों को ले, पाक हुआ बाराती--
चलो-चलो रे ! ब्याही जाती, सरकारी-शहजादी ||
--सुबोध-कान्त क्या बात है दोश्त निचोड़ निचोड़ कर और एक और http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/09/blog-post_13.हटमल
अफवाह फैलाना नहीं है वकील का काम .
"भारत"
ReplyDeleteखुद के जानो-माल की
शासन को सौ काम हैं, मन में राखो गोय ,
जहाँ-तहाँ बम फोड़ता, कहाँ बचायें तोय |
कहाँ बचायें तोय, धमाके होते अक्सर,
करो हिफाजत आप, यही है सबसे बेहतर |
चिदंबरम की चीख, बड़ा फोड़ू है अनशन,
बना प्राथमिक काम, बझा इसमें ही शासन ||खुद को पहचानों मेरी भारत जान ,कर दो अब चिदाम्बरों का काम तमाम ......
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/09/blog-post_13.हटमल
अफवाह फैलाना नहीं है वकील का काम .
बहुत खूब...
ReplyDeleteरेल और दिल्ली ... दोनों का ही बुरा हाल है आज तो ...
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