India won
हार-हार के मैच नौ, बटुरे साठ करोड़ |
भारत में है ही नहीं, क्रिकेट का कुछ तोड़ ||
क्रिकेट का कुछ तोड़, अजी जीते या हारें |
पाए कई करोड़, यहाँ घायल भी प्यारे |
एशिया कप की जय, पाते पच्चीस हजार,
हारे उसकी जीत, कप जीते भी इत हार ||
घायल सिंह युवराज भी, बैठे खाय करोड़ |
वाल्मीकि युवराज का, देती है दिल तोड़ |
देती है दिल तोड़, एशिया-हाकी जीता |
कुल पच्चीस हजार, लाल का शाही फीता |
खेल संघ धिक्कार, होय संघों का ट्रायल |
जूते-जूत निकाल, होय अधिकारी घायल ||
ये किक्रिट है बाबू, ईया पिसा कमाया जात न,
ReplyDeleteवैसे सच में ये पैसे कमाने का ही खेल रह गया है।
खेल संघ धिक्कार, होय संघों का ट्रायल |
ReplyDeleteजूते-जूत निकाल, होय अधिकारी घायल ||
ऐसा ही होना चाहिये।
नए अंदाज में सुन्दर रचना....
ReplyDeleteलाजवाब अंदाज़ ....
ReplyDeleteबहुत सटीक प्रस्तुति..
ReplyDeleteS.M.Habeeb ji
ReplyDeletesamayanukool bahut sundar rachna,badhai
मेरी १०० वीं पोस्ट , पर आप सादर आमंत्रित हैं
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ब्लॉग पर यह मेरी १००वीं प्रविष्टि है / अच्छा या बुरा , पहला शतक ! आपकी टिप्पणियों ने मेरा लगातार मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन किया है /अपनी अब तक की " काव्य यात्रा " पर आपसे बेबाक प्रतिक्रिया की अपेक्षा करता हूँ / यदि मेरे प्रयास में कोई त्रुटियाँ हैं,तो उनसे भी अवश्य अवगत कराएं , आपका हर फैसला शिरोधार्य होगा . साभार - एस . एन . शुक्ल
लाजवाब अंदाज़ .... विचारोत्तेजक कविता प्रस्तुत करने का आभार
ReplyDeleteसही और सटीक बातें लिखी है आपने ...
ReplyDeletesarthak prstuti....
ReplyDeleteसच्ची बात कहती कविता । पैसा तो किरकेट मा ही है ।
ReplyDeletesateek vyangya !
ReplyDeletebehtareen "VYANG". very beautifully you write..
ReplyDeleteदेती है दिल तोड़, एशिया-हाकी जीता |
ReplyDeleteकुल पच्चीस हजार, लाल का शाही फीता |
...........सटीक सच्ची बात