14 September, 2011

जीते भी इत हार


India won 
हार-हार के मैच नौ,  बटुरे  साठ  करोड़ |
भारत में है ही नहीं, क्रिकेट का कुछ तोड़ ||

क्रिकेट का कुछ तोड़, अजी जीते या हारें |
पाए कई करोड़, यहाँ  घायल भी प्यारे |

एशिया कप की जय, पाते पच्चीस हजार,
हारे  उसकी  जीत,  कप जीते  भी  इत हार ||


घायल सिंह युवराज भी,  बैठे  खाय  करोड़ |
वाल्मीकि  युवराज का,  देती  है  दिल तोड़ |

देती  है  दिल  तोड़,  एशिया-हाकी   जीता |
कुल पच्चीस हजार, लाल का शाही फीता |

खेल संघ धिक्कार, होय संघों का ट्रायल |
जूते-जूत निकाल, होय अधिकारी घायल ||   




13 comments:

  1. ये किक्रिट है बाबू, ईया पिसा कमाया जात न,
    वैसे सच में ये पैसे कमाने का ही खेल रह गया है।

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  2. खेल संघ धिक्कार, होय संघों का ट्रायल |
    जूते-जूत निकाल, होय अधिकारी घायल ||
    ऐसा ही होना चाहिये।

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  3. नए अंदाज में सुन्दर रचना....

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  4. लाजवाब अंदाज़ ....

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  5. बहुत सटीक प्रस्तुति..

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  6. S.M.Habeeb ji
    samayanukool bahut sundar rachna,badhai
    मेरी १०० वीं पोस्ट , पर आप सादर आमंत्रित हैं

    **************

    ब्लॉग पर यह मेरी १००वीं प्रविष्टि है / अच्छा या बुरा , पहला शतक ! आपकी टिप्पणियों ने मेरा लगातार मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन किया है /अपनी अब तक की " काव्य यात्रा " पर आपसे बेबाक प्रतिक्रिया की अपेक्षा करता हूँ / यदि मेरे प्रयास में कोई त्रुटियाँ हैं,तो उनसे भी अवश्य अवगत कराएं , आपका हर फैसला शिरोधार्य होगा . साभार - एस . एन . शुक्ल

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  7. लाजवाब अंदाज़ .... विचारोत्तेजक कविता प्रस्तुत करने का आभार

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  8. सही और सटीक बातें लिखी है आपने ...

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  9. सच्ची बात कहती कविता । पैसा तो किरकेट मा ही है ।

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  10. behtareen "VYANG". very beautifully you write..

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  11. देती है दिल तोड़, एशिया-हाकी जीता |
    कुल पच्चीस हजार, लाल का शाही फीता |
    ...........सटीक सच्ची बात

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