एक समाचार रूस से
रुसी पुत्र अबोध से, रुसी माता एक ।
खलल नींद में जो पड़ा, पुत्र को देती फेंक ।
पुत्र को देती फेंक, रही चौदहवीं मंजिल ।
तनिक नहीं अफ़सोस, खूब सोई फिर बेदिल ।
इस अफसोसनाक घटना पर --
आगे की दो पंक्तियाँ आप पूरी करें --
मुझसे नहीं लिखी जाती
गलत जगह पैदा हुआ, है वह रूसी पुत्र ॥
आदरणीय डा. श्याम जी गुप्त ने यह पंक्तियाँ जोड़ी हैं अधूरी कुंडली में--
जबरदस्त ।
बहुत बहुत आभार --
है अभागा समाज वह,यह राक्षसी चरित्र ।गलत जगह पैदा हुआ, है वह रूसी पुत्र ॥
जब मुँह पर फूल बसन्त --
बुरा न मानो होली है --
मूँग दले होरा भुने, उरद उरसिला कूट ।
पापड बेले अनवरत, खाय दूसरा लूट ।।
मालपुआ गुझिया मिली, मजेदार मधु स्वादु ।
स्वादु-धन्वा मन विकल, गुझरौटी कर जादु ।।
मन के लड्डू मन रहे, लाल-पेर हो जाय ।
रंग बदलती आशिकी, झूठ सफ़ेद बनाय ।।
भाँग खाय बौराय के, खेलें सन्त-महन्त ।
नशा उतरते फूलता, मुँह पर मियाँ बसन्त ।।
होरा = चना का झाड़
उरसिला = चौड़ी छाती
गुझिया = एक प्रकार की मिठाई
गुझरौटी= नाभि के पास का भाग
स्वादु-धन्वा = कामदेव
जब मुँह पर खिला बसन्त = डर जाना
आपके इस प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 05-03-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
ReplyDeleteहोली के पावन अवसर पर सुन्दर प्रस्तुति ....
ReplyDeleteदुखद से सुखद तक का सफर...
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति रविकर जी...
सार्थक और सामयिक प्रस्तुति, बधाई.
Deleteमेरे ब्लॉग " meri kavitayen" की नवीनतम प्रविष्टि पर आप सादर आमंत्रित हैं.
भाँग खाय बौराय के, खेलें सन्त-महन्त ।
ReplyDeleteनशा उतरते ही खिला, मुँह पर मियाँ बसन्त
।।बेहतरीन प्रस्तुति .होली मुबारक .
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएँ!
होली की शुभकामनाये
ReplyDeleteलगा अब होली आ ही गयी ...सुंदर प्रस्तुति .... होली की शुभकामनायें
ReplyDeleteभंग से शुरू कर आखिर में रंग जमा दिया आपने!
ReplyDeletehappy holi... 3 din pahle hi rangon se bheengo diya aapne...
ReplyDeleteमूँग दले होरा भुने, उरद उरसिला कूट ।
ReplyDeleteपापड बेले अनवरत, खाय दूसरा लूट ।।
जो आपसे न हो पूरी ,वो कुंडली रहे अधूरी ............
होली मुबारक .
सुन्दर....अति सुन्दर......होली की बधाई....
ReplyDeleteहोरी के हुरदंग को, होरा भूने हूर ।
ReplyDeleteहूर-हूर पर चढ रहा,देखो नूर-शुरूर ॥
देखो नूर-शुरूर, चहुं तरफ़ हैं हुरियारे,
तक-तक कर रंगधार,बदन पर मारें प्यारे।
श्याम,भीग कर हुईं,रंगीली सब ही गोरी,
सब पर होरी चढी,मस्त हो खेलें होरी ।।