प्रात:काल
नीति नियत नेता नगन, नति नर-नारि नकार ।
नीति नियत नेता नगन, नति नर-नारि नकार ।
नए-नतीजे निकलके, जन-जन जाए जार ।
जन-जन जाए जार, जरा जाए जिज्ञासू ।
सभा होय त्रिशंकु, बिकेंगे घोड़े धाँसू ।
रविकर सरिस दलाल, घूमते डारें डोरा।
खोखा पेटी माल, मांगते लिए कटोरा ।।
दोपहर
खबर प्रान्त से नीक, इक पार्टी शासित रहे ।
सपा पहुँचती ठीक, उत्तम बन जाये प्रभू ।
नानी नातिन नात, घूमते मुन्नी-मुन्ना
टुन्ना में फल न लगे, आये मंजर खूब ।
पाहुन पर पाला पड़ा, गए ख़ास सब ड़ूब ।
गए ख़ास सब ड़ूब, आम का झंडा फहरा ।
ख़ास बिके नक्खास, छुपाते घूमें चेहरा ।
नानी नातिन नात, घूमते मुन्नी-मुन्ना ।
गले अमेठी हार, छूछ हाले है टुन्ना ।।
पार्टी मुख्यालयों को लिंक फारवर्ड किया जाए।
ReplyDeleteहा हा हा हा --
Deleteनतीजे आ गये है जिसकी लंका लगनी थी लग गयी है जिसकी मौज आनी थी आ गयी है रही बात जनता की वो जहाँ थी वही रहेगी?
ReplyDeleteha ha ha
ReplyDeleteनानी नातिन नात, घूमते मुन्नी-मुन्ना ।
ReplyDeleteगले अमेठी हार, छूछ हाले है टुन्ना ।।
होली मुबारक .
एक पार्टी में दो -दो काग भगोड़े .प्रहसन ज़ारी है .मंद मति नायक अभी भी पहले पाठ में अटका कह रहा है -यूपी की सड़कों और खेतों में गरीबों के संग नजर आवूंगा .चुनावी पटकथा का पटाक्षेप हो चुका है लेकिन यह विदूषक अभी भी अपने संवाद बोले जाए है .
गुरु ने दूसरा पाठ नहीं पढ़ाया ?पहले पाठ पे अटका खडा है यह नायक .
चुनावी नतीजों को खूब भुनाया आपने । नानी नतिन नात...........टुन्ना वाला जबरदस्त ।
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