जातिवादी-हिंसा
खून-पानी एक करके धर दिया है ।
गाँव सारा लाश से ही भर दिया है ।
हर जगह अब चल रही खूनी हुकूमत -
खून के आंसू रुलाकर हर लिया है ।
माता -पिता -गुरु
लोथड़े को खून से सींची महीनों -
प्राण पाकर पुत्र ने नौकर किया है ।
खूं-पसीना एक करके बाप पाले-
पड़ा लथ-पथ खून घर में कर दिया है ।
उंगली पकड़ के सीखता जिनसे हुनर-
उंगली दिखाके ही बाहर कर दिया है ।
भाई-बहिन-मित्र
दांत-काटी रोटियां कर ली हजम ।
बोटियाँ करने का अब आर्डर दिया है ।
बहिन बीसों बार राखी बाँध ली -
बार के हर अंग राखी कर दिया है ।
सर पर बिठाकर आज तक भाई रखा
पर भतीजों को चढ़ा सर पर दिया है ।।
अलग-अलग रंग...पर सबके सब सच्चे हैं !
ReplyDeleteसर पर बिठाकर आज तक भाई रखा
ReplyDeleteपर भतीजों को चढ़ा सर पर दिया है ।।
बहुत खूब सर ,हर कूची का रंग अलग है ,सौन्दर्य और अर्थ छटा अलग है .
सर पर बिठाकर आज तक भाई रखा
ReplyDeleteपर भतीजों को चढ़ा सर पर दिया है ।।
संबंधों की दुनिया का कटु सत्य।