काश ! ऐसी दौड़ में हम भी संग होते !
अरे सुबह सुबह ऐसी ख्वाहिश |वो तो मर गया -पांचवी रेस में ही -
हाय रे हाय विधाता!
व्यंग्य विधा के माध्यम, से क्या मारा तीर !यथार्थ को प्रस्तुत किया,हे लेखनी-सुवीर !!
काश ! ऐसी दौड़ में हम भी संग होते !
ReplyDeleteअरे सुबह सुबह ऐसी ख्वाहिश |
Deleteवो तो मर गया -
पांचवी रेस में ही -
हाय रे हाय विधाता!
ReplyDeleteव्यंग्य विधा के माध्यम, से क्या मारा तीर !
ReplyDeleteयथार्थ को प्रस्तुत किया,हे लेखनी-सुवीर !!