07 August, 2012

वैवाहिकी:सचमुच

शिवा ने चित्र भेजा

 (1)
सास-ससुर पति ननद दो, भावी दो संतान।
स्नेह-सूत्र में बाँध ले, जो कन्या मुस्कान ।

जो कन्या मुस्कान, व्यवस्था घर की सारी ।
एक्जीक्यूटिव रैंक, सैलरी  रखे हमारी ।

मन श्रद्धा-विश्वास, परस्पर सुख-दुःख बांटे ।
बने धुरी मजबूत, गृहस्थी भर फर्राटे ।।

कृपया क्लिक करें  
निवेदक-कुमार शिवा
 25 अप्रैल 1988, 5'8'', 55 Kg , रंग साफ़,
 B Tech -MNNIT इलाहाबाद -
TCIL, Telecommunication विभाग 
भारत सरकार 
नई दिल्ली में  E-2
आजकल - आबुधाबी में पदस्थापित 
जातिबंधन-सर्व वैश्य मान  / मधेशिया / यज्ञसैनी / कान्दू / कान्यकुब्ज आदि 
छोटी बहने:अविवाहित 
1) मनु NIT दुर्गापुर से B Tech 
TCS लखनऊ में कार्यरत 
2) स्वस्ति-मेधा BIET झाँसी में 
Chemical Engg, B Tech 3rd Year
पिता 
दिनेश चन्द्र गुप्ता "रविकर"
STA , Department of Electronics 
ISM, Dhanbad / लोग इसे IIT Dhanbad के नाम से जानते हैं 
माता
घर की वर्तमान प्रभारी : जिन्हें अपने बच्चों पर गर्व है ।
माँ को समर्पित कुंडली 
 (2)
होलीडे इकदम नहीं, भर जीवन संघर्ष ।
यदा-कदा सिक लीव है, कठिन वर्ष दर वर्ष ।

कठिन वर्ष दर वर्ष , हर्ष के पल खुब पायी।
नहीं कहीं प्रतिबन्ध, स्वयं से मन बहलायी।

 कोटि-कोटि आभार, मिली जो प्यारी माता ।
घर भर की आधार, हमारी भाग्य-बिधाता ।।
नोट:
(3)
नारी वादी सोच से, नहीं कहीं तकरार ।
किन्तु प्राथमिकता मिले, दोनों कुल परिवार ।

दोनों कुल परिवार, रखे अक्षुण मर्यादा ।
हो अपनों से प्यार, स्वयं से पक्का वादा ।

कर खुद का उत्थान, देश हित रख कर आगे ।
ईश्वर पर विश्वास, सरलतम जीवन मांगे । 
 

(4)
केवल अपना स्वार्थ ही, करते रहिये सिद्ध ।
बाकी जाएँ भाड़ में, ऐसे जीव निषिद्ध ।

ऐसे जीव निषिद्ध, वृद्धि सीमित अपने तक ।
 ऋद्धि-सिद्धि गृह भूल, जानती है केवल हक़ 

कर्तव्यों को बोझ, समझते हैं जो प्रानी ।
करें अकेले मौज, करें बस बात सयानी ।

(5)
जीवन भर पढता रहा, बना एक ही ध्येय ।
इक अच्छा इंसान बन, पूजू सब श्रद्धेय ।

पूजू सब श्रद्धेय, धर्म संस्कृति की पूजा ।
ढूंढ़ रहा हमसफ़र, चक्र गाड़ी का दूजा ।

सदाचार आचरण, सदा सम्मानित नारी
करूँ जिन्दगी वरण, बनूँ पक्का व्यवहारी ।।

सुपुत्री मनु को जन्मदिन की बधाई : 4 अक्टूबर

रविकर फैजाबादी
My Photo
D.C.Gupta
STA, Department of Electronics Engg.
Indian School of Mines
Dhanbad
M: +918521396185

 

5 comments:

  1. पूंजू सब श्रद्धेय, धर्म संस्कृति की पूजा ।
    ढूंढ़ रहा हमसफ़र, चक्र गाड़ी का दूजा ।
    बधाई क्या बधाया...आज तो बधाई गाओ रंग महल में ,असुवन चौक पुराओ री माई रंग महल में .पूजू /पूजूं करो भाई . ,शुक्रिया कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    मंगलवार, 7 अगस्त 2012
    भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से

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    1. जी
      ऊपर पहले ही कर लिया था-
      तीसरी लाइन में छूट गया था-
      आभार ||

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