ममता कम होती गई, रही सही भी जाय |
मोहन की जसुमति खफा, मिले दूसरी धाय |
मोहन की जसुमति खफा, मिले दूसरी धाय |
मिले दूसरी धाय, देवकी तो है जिन्दा |
टाल अलाय बलाय, उड़ेगा अभी परिन्दा |
मँहगाई गठजोड़, गगन में हरदम रमता |
ऊंचा ऊंचा उड़े, नहीं धरती से ममता ||
वाह !
ReplyDeleteपैर कटा बैठा हो जो ऊड़ता ही रहेगा
बैठना भी चाहे धरा पर कैसे बैठेगा?
Virendra Sharma
ReplyDeleteएस .ऍम. भाई सबसे पहले मुबाराक बाद ममता जी के नंगी सरकार से बाहर आने के लिए .इस अपडेट के लिए .और अब सुनो आज का विचार -
"नंग बड़े परमेश्वर से " ये भाई साहब यूं ही नहीं कहा गया है नंगे से तो खुदा भी डरता है .वह भी कहता है अब क्या करें इस नंगी सरकार का .नक- कटा और नंगा एक ही मानसिकता लिए होतें हैं ,जो होना था ,हो चुका अब और क्या बिगाड़ सकता है हमारा कोई .नाक कटनी थी कट गई .नकटी सरकार का अब और कोई क्या बिगाड़ लेगा ?
जहां तक ममता और मुलायम साहब का सवाल है यह सब नूरा कुश्ती है .लोगों को खामखा उलझा रखा है .
फिर भी एक बात तय है एस .ऍम. जल्दी कुछ होगा .
इधर इसाइयत और इस्लाम के बीच भी कटुता बढती जा रही है .अफगानिस्तान में अमरीकी तैयारों को गिराया जाना नए गुल खिलाये बिना नहीं रहेगा .वैसे भी यह अमरीका में चुनावी साल है .
बिला -शक जो कौम तर्क से घबराती है उसे कोई ठीक नहीं कर सकता लेकिन ठोक ज़रूर सकता है .
फतवा वहां से शुरू होता है जहां तर्क का अंत हो जाता है बहस की तो इस्लाम में गुंजाइश ही नहीं है कोई बहस नहीं कुरआन और मोहम्मद पर .इसलिए जो बहस में नहीं उतरना चाहता है वह फतवा ज़ारी कर देता है .
समाज और राजनीति दोनों में अब फतवे का युग आ गया है . आ रहा है बहुत तेज़ी से .
भारत को भी जल्दी कुछ सोचना करना होगा .इसाइयत -इस्लामी भिडंत के छींटे हम पर पड़े बिना नहीं रहेंगे .आखिर हम कब तक एक सोफ्ट स्टेट ,एक सोफ्ट टार्गेट बने हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे .कहते रहेंगे -भारत में शास्त्रार्थ की परम्परा रही है .
ऐसी के तैसी तो कर दी उस परम्परा की यह कहके -चोर पकड़ा गया है तो क्या ,सरकार कोयला हुई है तो क्या पहले बहस कराओ ,सबूत जुटाओ "सरकार वाकई कोयला हुई है "