21 November, 2012

इत खारिज हो याचिका, उत जाता दफ़नाय-रविकर


मरा मच्छरी मौत मकु,  रहस्य रहा गहराय ।
इत खारिज हो याचिका, उत जाता दफ़नाय।
 मकु=कदाचित 

उत जाता दफ़नाय, एड़ियाँ रगड़ रगड़ कर ।
सड़ा बदन इस कदर, तड़पता तोबा कर कर ।

डेंगू लेता लील, खबर पर बनी दफ्तरी ।
फाँसी होती आज, मरा नहिं मौत मच्छरी ।।


आधी गफलत आधा पुष्ट ।
कैसी दुविधा मरता दुष्ट ।।

मौजी दुनिया पूछे राज  
करिए जाहिर हो संतुष्ट ।।

लुका छिपा फांसी लगा, लें क्रेडिट मुंहजोर |
वोट बैंक की पॉलिटिक्स, देखें कई करोर |

देखें कई करोर,  मलाला खाय गोलियां |
माने नहिं फरमान, मारती दुष्ट टोलियाँ |

हमलावर यह सिद्ध, कराती सत्ता हांसी |
राष्ट्र-शत्रु यह घोर, छुपा कर क्यूँ हो फांसी ||

बुरे काम का बुरा नतीजा |
चच्चा बाकी, चला भतीजा ||
गुरु-घंटालों मौज हो चुकी-
जल्दी ही तेरा भी तीजा ||
गाल बजाया चार साल तक -
आज खून से तख्ता भीजा ||
लगा एक का भोग अकेला-
महाकाल हाथों को मींजा ||
चौसठ लोगों का शठ खूनी -
रविकर ठंडा आज कलेजा ||
शुरू कहानी जब हुई, करो फटाफट पूर ।

झूलें फांसी शेष जो, क्यूँ है दिल्ली दूर ??
क्यूँ है दिल्ली दूर, कड़े सन्देश जरूरी ।
एक एक निपटाय, प्रक्रिया कर ले पूरी 
कुचल सकल आतंक, बचें नहिं पाकिस्तानी ।
सुदृढ़ इच्छा-शक्ति, हुई अब शुरू कहानी ।।

7 comments:

  1. एक आतंकवादी की मौत की कहानी आदरणीय रविकर की बयानी
    सभी कुंडली सटीक हैं
    लगा एक का भोग अकेला-
    महाकाल हाथों को मींजा ||
    चौसठ लोगों का शठ खूनी -
    रविकर ठंडा आज कलेजा ||यह भी खूब रही
    बहुत बढ़िया है

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  2. बहुत सराहनीय प्रस्तुति.

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  3. जबरदस्त। वेद प्रताप वैदिकजी के विचार आपकी बीच वाली कुण्डली की पुष्टि करते हैं।

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  4. छुपा कर क्यूं दी फाँसी ,सरे आम होनी चाहिये थी बीच बज़ार ।

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  5. हमलावर यह सिद्ध, कराती सत्ता हांसी |
    राष्ट्र-शत्रु यह घोर, छुपा कर क्यूँ हो फांसी ||

    सच में इस झूठी और घोटालेबाज सरकार पर शक़ यहां तक होता है कि कसाब को सचमुच फांसी हुई भी है या नहीं ?!

    जो भी हो मच्छर बधाई का पात्र है
    :)
    मैंने लिखा -
    सोया शासन-तंत्र तब जागा मच्छर एक !
    काम बुरे सौ-सौ किये , एक कर गया नेक !!
    काम कर गया नेक , काट कर आतंकी को !
    दोज़ख़ दीन्हा भेज , कसबिये ज़ेहादी को !!
    क्रेडिट ले सरकार ; कसब का कुनबा रोया !
    अफ़जल ! करले ख़ैर… जब तलक शासन सोया !!


    शुभकामनाओं सहित…


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    Replies

    1. मच्छर भी कर दे कभी, घटना बड़ी अनीक |
      वाह वाह राजेद्र जी, कहते बात सटीक |
      कहते बात सटीक , मगर संसद के मच्छर |
      लगते कितने ढीठ, पालते हैं हमलावर |
      काटे केवल माल, काटते सीधा रविकर |
      मरेंगे अपनी मौत, मार नहिं पाए मच्छर ||

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  6. … और आपकी पोस्ट के लिए क्या कहें…
    आदरणीय रविकर जी

    हमेशा की तरह श्रेष्ठ और उत्कृष्ट रचनाओं से भरपूर !!
    आभार !

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