दाम, दामिनी दमन, दम, दंगा दपु दामाद ।
दरबारी दरवेश दुर, दुर्जन जिंदाबाद ।
दुर्जन जिंदाबाद, अनर्गल भाषण-बाजी ।
कर शब्दों से रेप, स्वयंभू बनते गाजी ।
बारह, बारह बजा, बीतती जाय यामिनी ।
नए वर्ष में शपथ, मरे नहीं मित्र दामिनी ।।
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मित्र-सेक्स विपरीत गर, रखो अपेक्षित ख्याल- रविकर
विनम्र श्रद्धांजलि
ताड़ो नीयत दुष्ट की, पहचानो पशु-व्याल |
मित्र-सेक्स विपरीत गर, रखो अपेक्षित ख्याल |
रखो अपेक्षित ख्याल, पिता पति पुत्र सरीखे।
बनकर सच्चा मित्र, हिफाजत करना सीखे || एक घरी का स्वार्थ, जिन्दगी नहीं उजाड़ो |
जोखिम चलो बराय, मुसीबत झटपट ताड़ो ||
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प्रभावी लेखन,
ReplyDeleteजारी रहें,
बधाई !!
सार्थिक अभिव्यक्ति.. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteनववर्ष की ढेरों शुभकामना!
ReplyDeleteआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि आज दिनांक 01-01-2013 को मंगलवारीय चर्चामंच- 1111 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteआपको सहपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...
ReplyDelete:-)
शुभ भाव शुभ संकल्पों से सिंचित पोस्ट .भगवान करे ,हम पुरुषार्थ करें ,ऐसा ज़रूर हो सकेगा .
ReplyDeleteनव वर्ष चौतरफा शुभ हो आपके आसपास 24x7x365 दिन
ReplyDeleteसपथ है सपथ है ..मरेगी नहीं मित्र दामिनी।
ReplyDeleteबहुत खुस्गवार समझता हूँ कैलाश सर और आप जैसे लेखको के रचनाएँ पढ़ कर ...
नव वर्ष की मंगलकामनाएँ।।
’हरपल,छले जाने की अनुभूति होती है—’
ReplyDeleteसत्य कथन,हम कितने विवश हैं,हमारी ही गढी व्यवस्था ने
हमें पंगु बना दिया है.यह भी सत्य है,हमे ही इस व्यवस्था पर
वज्र प्रहार करना होगा,आशा है इन स्याह बादलों के उस पार सूरज
उगने को है.
आपकी लिखी रचना वर्षान्त अंक "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 31 दिसम्बर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
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