कथा जुबानी सिखा के, प्रति अधिकार सचेत ||
दस की बाला को सिखा, निज शरीर के भेद |
साफ़ सफाई अहम् है, काया स्वच्छ सुफेद ||
वाणी मीठी हो सदा, हरदम रहे सचेत |
चंडी बन कर मारती, दुर्जन-राक्षस प्रेत ||
जाने अच्छी तरह वह, सद-स्नेहिल स्पर्श |
गन्दी नजरें भापती, भूले न आदर्श ||
दस की बाला को सिखा, निज शरीर के भेद |
साफ़ सफाई अहम् है, काया स्वच्छ सुफेद ||
वाणी मीठी हो सदा, हरदम रहे सचेत |
चंडी बन कर मारती, दुर्जन-राक्षस प्रेत ||
जाने अच्छी तरह वह, सद-स्नेहिल स्पर्श |
गन्दी नजरें भापती, भूले न आदर्श ||
सालाना जलसा हुआ, आये अंग-नरेश |
प्रस्तुतियां सुन्दर करें, भाँति-भाँति धर भेस ||
इक नाटक में था दिखा, निपटें कस दुर्भिक्ष |
तालाबों की महत्ता, रोप-रोप के वृक्ष ||
जब अकाल को झेलता, अपना सारा देश |
कालाबाजारी विकट, पहुंचाती है ठेस ||
बर्बादी खाद्यान की, लो इकदम से रोक |
जल को अमृत जानिये, कन्या कहे श्लोक ||
गुरुकुल के आचार्य का, प्रस्तुत है उद्बोध ||
नारी शिक्षा पर रखें, अपने शाश्वत शोध ||
दस शिक्षक के तुल्य है, इक आचार्य महान |
सौ आचार्यों से बड़ा, पिता तुम्हारा जान ||
सदा हजारों गुना है, इक माता का ज्ञान |
शिक्षा शाश्वत सर्वथा, सर्वोत्तम वरदान ||
गार्गी मैत्रेयी सरिस, आचार्या कहलांय |
गुरु पत्नी आचार्यिनी, कही सदा ही जाँय ||
कात्यायन की वर्तिका, में सीधा उल्लेख |
महिला लिखती व्याकरण, श्रेष्ठ प्रभावी लेख ||
महिला शिक्षा पर करे, जो भी खड़े सवाल |
पढ़े पतंजलि-ग्रन्थ जब, मिटे ग्रंथि जंजाल ||
शांता जी ने है किया, बड़ा अनोखा कार्य |
शुभाशीष शुभ-कामना, दे उनका आचार्य ||
नीति नियम रक्खी बना, दस तक शिक्षा देत |
ReplyDeleteकथा जुबानी सिखा के, प्रति अधिकार सचेत ||
दस की बाला को सिखा, निज शरीर के भेद |
साफ़ सफाई अहम् है, काया स्वच्छ सुफेद ||
वाणी मीठी हो सदा, हरदम रहे सचेत |
चंडी बन कर मारती, दुर्जन-राक्षस प्रेत ||
मानायावर !बखूबी आर उद्बोध शब्द प्रयोग करें बा -खूबी और उदबोध के स्थान पर .
आनंद आ गया रचना पढ़ कर .काव्य सौन्दर्य देखते ही बनता है .
शांता जी ने है किया, बड़ा अनोखा कार्य |
ReplyDeleteदेता खुब आशीष हूँ, मै उनका आचार्य ||
देता खूब आशीष हूँ करें कृपया .
ReplyDeleteगुरुकुल के आचार्य का, प्रस्तुत है उद्बोध ||
नारी शिक्षा पर रखें, अपने शाश्वत शोध ||
बहुत सारगर्भित सार्वकालिक .
बहुत सारगर्भित सार्वकालिक .
आप सदैव ही हमें अनुस्थापित करतें हैं लिंक लिख्खाड़ पर चर्चा मंच पर .आभार आपके इस स्नेह का .हर्ष वर्षण का .
man prafullit kar gyee aapki prastuti
ReplyDeleteवाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteसुंदर,भावपूर्ण और सारगर्भीत दोहे...प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteदस शिक्षक के तुल्य है, इक आचार्य महान |
ReplyDeleteसौ आचार्यों से बड़ा, पिता तुम्हारा जान ||
सदा हजारों गुना है, इक माता का ज्ञान |
शिक्षा शाश्वत सर्वथा, सर्वोत्तम वरदान ||
जीवन में हमारे ये सब गुरु हैं जो हमें शिक्षा देते हैं और आगे के लिये प्रेरित भी करते हैं ।
सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर स्वागत है।
भावपूर्ण दोहे अच्छे लगे। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।
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