05 December, 2012

जाने अच्छी तरह वह, सद-स्नेहिल स्पर्श-


श्री राम की सहोदरी : भगवती शांता सर्ग-1 / 2/ 3

 के अंश 
नीति नियम रक्खी बना, दस तक शिक्षा देत |
कथा जुबानी सिखा के, प्रति अधिकार सचेत ||

दस की बाला को सिखा,  निज शरीर के भेद |
साफ़ सफाई अहम् है, काया स्वच्छ सुफेद ||

वाणी मीठी हो सदा, हरदम रहे सचेत |
चंडी बन कर मारती, दुर्जन-राक्षस प्रेत ||

जाने अच्छी तरह वह, सद-स्नेहिल स्पर्श |
गन्दी नजरें भापती, भूले न आदर्श ||

सालाना जलसा हुआ, आये अंग-नरेश |
प्रस्तुतियां सुन्दर करें, भाँति-भाँति धर भेस ||

इक नाटक में था दिखा, निपटें कस दुर्भिक्ष |
तालाबों की महत्ता, रोप-रोप के वृक्ष ||

जब अकाल को झेलता, अपना सारा देश |
कालाबाजारी विकट, पहुंचाती है ठेस ||

बर्बादी खाद्यान  की, लो इकदम से रोक  | 
जल को अमृत जानिये, कन्या कहे श्लोक ||

गुरुकुल के आचार्य का, प्रस्तुत है उद्बोध ||
नारी शिक्षा पर रखें, अपने शाश्वत शोध ||

दस शिक्षक के तुल्य है, इक आचार्य महान |
सौ आचार्यों से बड़ा, पिता तुम्हारा जान ||

  सदा हजारों गुना है, इक माता का ज्ञान |
  शिक्षा शाश्वत सर्वथा, सर्वोत्तम वरदान ||

गार्गी मैत्रेयी सरिस, आचार्या कहलांय |
गुरु पत्नी आचार्यिनी, कही सदा ही जाँय ||

कात्यायन  की वर्तिका,  में सीधा उल्लेख |
महिला लिखती व्याकरण, श्रेष्ठ प्रभावी लेख ||

महिला शिक्षा पर करे, जो भी खड़े सवाल |
पढ़े पतंजलि-ग्रन्थ जब, मिटे ग्रंथि जंजाल ||

शांता जी ने है किया, बड़ा अनोखा कार्य |
शुभाशीष शुभ-कामना, दे उनका आचार्य ||

9 comments:

  1. नीति नियम रक्खी बना, दस तक शिक्षा देत |
    कथा जुबानी सिखा के, प्रति अधिकार सचेत ||

    दस की बाला को सिखा, निज शरीर के भेद |
    साफ़ सफाई अहम् है, काया स्वच्छ सुफेद ||

    वाणी मीठी हो सदा, हरदम रहे सचेत |
    चंडी बन कर मारती, दुर्जन-राक्षस प्रेत ||

    मानायावर !बखूबी आर उद्बोध शब्द प्रयोग करें बा -खूबी और उदबोध के स्थान पर .

    आनंद आ गया रचना पढ़ कर .काव्य सौन्दर्य देखते ही बनता है .

    ReplyDelete
  2. शांता जी ने है किया, बड़ा अनोखा कार्य |
    देता खुब आशीष हूँ, मै उनका आचार्य ||

    देता खूब आशीष हूँ करें कृपया .

    ReplyDelete

  3. गुरुकुल के आचार्य का, प्रस्तुत है उद्बोध ||
    नारी शिक्षा पर रखें, अपने शाश्वत शोध ||

    बहुत सारगर्भित सार्वकालिक .

    बहुत सारगर्भित सार्वकालिक .

    आप सदैव ही हमें अनुस्थापित करतें हैं लिंक लिख्खाड़ पर चर्चा मंच पर .आभार आपके इस स्नेह का .हर्ष वर्षण का .



    ReplyDelete
  4. man prafullit kar gyee aapki prastuti

    ReplyDelete
  5. वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

    ReplyDelete
  6. सुंदर,भावपूर्ण और सारगर्भीत दोहे...प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार

    ReplyDelete
  7. दस शिक्षक के तुल्य है, इक आचार्य महान |
    सौ आचार्यों से बड़ा, पिता तुम्हारा जान ||

    सदा हजारों गुना है, इक माता का ज्ञान |
    शिक्षा शाश्वत सर्वथा, सर्वोत्तम वरदान ||
    जीवन में हमारे ये सब गुरु हैं जो हमें शिक्षा देते हैं और आगे के लिये प्रेरित भी करते हैं ।

    ReplyDelete
  8. सुंदर प्रस्तुति।
    मेरे ब्लॉग पर स्वागत है।

    ReplyDelete
  9. भावपूर्ण दोहे अच्छे लगे। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।

    ReplyDelete