जीना मुश्किल हो गया, बोला घपलेबाज |
पहले जैसा ना रहा, यह कांग्रेसी राज | यह कांग्रेसी राज, नियम से करूँ घुटाला | पर सांसत में जान, पडा इटली से पाला | बनवाया उस रोज, आय व्यय का तख्मीना | जीते चालीस चोर, रोज मरती मरजीना || बजट = आय व्यय का तख्मीना |
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Madan Mohan Saxena
उच्चस्तर पर सम्पदा, रहे भद्रजन लूट ।
संचित जस-तस धन करें, खुली मिली है छूट । खुली मिली है छूट, बटे डीरेक्ट कैश अब । मनरेगा से वोट, झपटता पंजा सरबस । लेकिन मध्यम वर्ग, गिरे गश खा कर रविकर । मंहगाई-कर जोड़, छुवें दोनों उच्चस्तर ॥ |
लेकिन मध्यम वर्ग, गिरे गश खा कर रविकर-
उच्चस्तर पर सम्पदा, रहे भद्रजन लूट ।
संचित जस-तस धन करें, खुली मिली है छूट ।
खुली मिली है छूट, बटे डीरेक्ट कैश अब ।
मनरेगा से वोट, झपटता पंजा सरबस ।
लेकिन मध्यम वर्ग, गिरे गश खा कर रविकर ।
मंहगाई-कर जोड़, छुवें दोनों उच्चस्तर ॥
सकल घरेलू प्रोडक्शन, हुआ फीसदी सात ।
झेलें नेता माफिया, अभिनेता आघात ।
अभिनेता आघात, बूझते कारस्तानी ।
ये किसान मजदूर, करे हैं नित बेइमानी ।
मेरी सौ की ग्रोथ, बुराई मैं क्यूँ झेलूं ।
निन्यान्नावे ये लोग, गिराते सकल घरेलू ।।
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सिली सिलिंडर सनसनी, मेहरबान मक्कार |
प्रोसेस्ड खाने का करे, अब प्रचार सरकार | अब प्रचार सरकार, पुरातन भोजन भूलो | पाक कला त्यौहार, भूल कर केक कुबूलो | फास्ट फूड भरमार, तरीके नए सोचिये | पाई फुर्सत नारि, सतत अब नहीं कोंचिये || गैस सिलिंडर चलेगा पूरे दो महीने : है न उपाय-
दाने खा लो अंकुरित, पी लो सत्तू घोल ।
पाव पाइए प्रेम से, ब्रेड पैकेट लो मोल ।
ब्रेड पैकेट लो मोल, लंच में माड़-भात खा ।
काटो मस्त सलाद, शाम को मूढ़ी चक्खा ।
चाय बना इक बार, डालिए हॉट पॉट में ।
फास्ट फूड दो मिनट, पकाओ एक लाट में ।।
आशा है मेहमान की, होना नहीं निराश ।
खिला बताशा दे पिला, पानी बेहद ख़ास ।
पानी बेहद ख़ास, पार्टी उससे मांगो ।
करिए ढाबा विजिट, शाम को बाहर भागो ।
ख़तम होय न गैस, गैस काया में पालो ।
न तलना ना भून, सदा हर चीज उबालो ।।
मा मू ली बा पु-रा-जमा, जल डी-जल जंजाल ।
गैस सिलिंडर सातवाँ, छील बाल की खाल ।
छील बाल की खाल, सुबह का हुआ नाश्ता ।
चार चने की दाल, लंच में चले पाश्ता ।
फास्ट फूड ब्रेड जैम, किचेन माता जी भूली ।
मूली गाजर काट, बने मुश्किल मामूली ।
आग लगे डीजल जले, तले *पकौड़ी पन्त -
चाटुकार *चंडालिनी, चले चाट सामन्त ।
आग लगे डीजल जले, तले *पकौड़ी पन्त ।
तले पकौड़ी पन्त, कीर्ति मँहगाई गाई ।
गैस सिलिन्डर ख़त्म, *कोयले की अधमाई ।
*इडली अल्पाहार, कराये भोजन *जिंदल ।
इटली *पीजा रात, मनाते मोहन मंगल ।।
प्रश्न : तारांकित शब्दों के अर्थ बताएं ।।
बने नहीं पर न्यूज, लाख मारे मँहगाई
बावन शिशु हरदिन मरें, बड़ा भयंकर रोग ।
खाईं में जो बस गिरी, उसमें बासठ लोग ।
उसमें बासठ लोग, नाव गंगा में डूबी ।
दंगे मार हजार, पुलिस नक्सल बाखूबी ।
गिरते कन्या भ्रूण, पड़े अब खूब दिखाई ।
बने नहीं पर न्यूज, लाख मारे मँहगाई ।।
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