(1)
नमन नमस्ते नायकों, नम नयनों नितराम |
क्रूर कुदरती हादसे, दे राहत निष्काम |
दे राहत निष्काम, बचाते आहत जनता |
दिए बगैर बयान, हमारा रक्षक बनता |
अमन चमन हित जान, निछावर हँसते हँसते |
भूले ना एहसान, शहीदों नमन नमस्ते -
(2)
उत्तरीय उतरे उमड़, उलथ उत्तराखंड |
कुदरत का कुत्सित कहर, देह भुगत ले दंड |
कुदरत का कुत्सित कहर, देह भुगत ले दंड |
देह भुगत ले दंड, हुवे रिश्ते बेमानी |
पानी का बुलबुला, हुआ है पानी पानी |
क्या गंगा आचमन, चमन सम्पूर्ण प्रस्तरी |
चालू राहतकार्य, उत्तराभास उत्तरी ||
उत्तराभास=अंड-बंड उत्तर / दुष्ट उत्तर
उत्तरीय उतरे उमड़, उलथ उत्तराखंड |
ReplyDeleteकुदरत का कुत्सित कहर, देह भुगत ले दंड |
देह भुगत ले दंड, हुवे रिश्ते बेमानी |
पानी का बुलबुला, हुआ है पानी पानी |
Bahut khoob, Umda !
सामयिक और सटीक प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDelete@मानवता अब तार-तार है
उत्कृष्ट संजीदा और सामयिक प्रस्तुति .बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeletesarthak links .aabhar
ReplyDeleteसटीक प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteवाकई में ,मानव की भौतिकतावादी सोच और उसके ही कृत्यों का ही यह दुष्परिणाम है , बेहद दुखद घटना
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