चूके ना वाणी कभी, भेदे अपना लक्ष्य |
दुर्जन सज्जन चर अचर, चाहे भक्ष्याभक्ष्य |
चाहे भक्ष्याभक्ष्य, ढाल-वाणी बारूदी |
छोड़े जिभ्या बाण, ढाल क्यों नाहक कूदी |
जहर बुझाए तीर, कलेजा ज्यों ज्यों हूके |
जाएँ रिश्ते टूट, किन्तु ना जिभ्या चूके || ,
जाएँ रिश्ते टूट, किन्तु ना जिभ्या चूके || ,
ReplyDeleteBadee hee achook baat kah dee aapne....
बहुत सुन्दर रचना आभार
ReplyDeleteयहॉ भी पधारें,
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बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर, बढिया
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