टंच माल है सौ टका, चाट चंट चंडाल |
थूक थूक के चाटता, खूब बजावे गाल |
खूब बजावे गाल, बने जौहरी पुराना |
कभी गुरू-घंटाल, कभी आतंकी नाना |
वाणी से दिग्विजय, भूल है मकड़-जाल है |
ले अंतर में झाँक, बड़ा ही टंच माल है ||
पोटे किसे लबार, शुद्ध दिखती खुदगर्जी |
जाय भाड़ में देश, करे अपनी मनमर्जी |
ले आतंकी पक्ष, अगर लादेन का कर्जी |
पर भड़का उन्माद, चीथड़े क्यूँकर दर्जी ||
थूक थूक के चाटता, खूब बजावे गाल |
खूब बजावे गाल, बने जौहरी पुराना |
कभी गुरू-घंटाल, कभी आतंकी नाना |
वाणी से दिग्विजय, भूल है मकड़-जाल है |
ले अंतर में झाँक, बड़ा ही टंच माल है ||
दर्जी दिग्गी चीर के, सिले सिलसिलेवार |
कह फर्जी मुठभेड़ को, पोटे किसे लबार |
कह फर्जी मुठभेड़ को, पोटे किसे लबार |
पोटे किसे लबार, शुद्ध दिखती खुदगर्जी |
जाय भाड़ में देश, करे अपनी मनमर्जी |
ले आतंकी पक्ष, अगर लादेन का कर्जी |
पर भड़का उन्माद, चीथड़े क्यूँकर दर्जी ||
इससे बडा लबाडी आज तक नही देखा, दुष्ट को महिलाओं में माल दिखाई देता है, नालायक कहीं का.
ReplyDeleteरामराम.
टंच माल है सौ टका, चाट चंट चंडाल |
ReplyDeleteथूक थूक के चाटता, खूब बजावे गाल |
Tau se sahmat !
दिग्विजय शब्द को खोखला कर दिया इस आदमी ने.....
ReplyDeleteभोथरा हो चूका है इसको कुछ भी कहे तो कोई फर्क नहीं पड़नें वाला !!
ReplyDeleteकांग्रेस का श्वान है जब तब भोंके खूब ।
ReplyDeleteले आतंकी पक्ष, अगर लादेन का कर्जी |
ReplyDeleteपर भड़का उन्माद, चीथड़े क्यूँकर दर्जी ||
ये ही डुबोयेगा कांग्रेस के जर्जर जहाज़ को इसका रहना इस वक्त की मांग है .
इनके लिए तो उपमा भी कम है..
ReplyDeleteथूक थूक के चाटता, खूब बजावे गाल.
ReplyDeleteपोटे किसे लबार, शुद्ध दिखती खुदगर्जी |
जाय भाड़ में देश, करे अपनी मनमर्जी |
क्रोध लाजिमी है । हिंदुस्तान और अधिकतर हिन्दुस्तानियों का कहना चाहिए हिन्दुओं का यही चरित्र रहा है . वरना मुठ्ठी भर सैनिक लेकर बख्तियार खिलजी दिल्ली से नालंदा नहीं पहुच गया होता . इसी चरित्र की वजह से १२०० वर्षों की गुलामी रही और इसके पुनरावृति की सम्भावना भी शीघ्र है और तब इनके वंशजों एवं अन्य में कोई फर्क नहीं होगा . दुर्दशा सबकी बराबर होगी .
आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (29.07.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी. कृपया पधारें .
impresd
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