04 July, 2013

बिपदा बढ़ती बहु-गुणा, बा-शिंदे बेहाल-




 बिपदा बढ़ती बहु-गुणा, बा-शिंदे बेहाल |
बस-बेबस बहते बहे, बज-बंशी भूपाल |  

बज बंशी भूपाल, बहर बंदिशें सुरीली |
मनमोहन मदमस्त, मगन मीरा शर्मीली |

चले अचल छल-चाल, भयंकर नदी बिगडती  | 
चारो तरफ बवाल, हमारी बिपदा बढ़ती ||  

  
RSS Swayamsevaks in Uttarakhand.
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4 comments:

  1. सुन्‍दर रचना
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  3. शासन पुराण अनंत भए अनंता.....

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  4. बिपदा बढ़ती बहु-गुणा, बा-शिंदे बेहाल


    वाह क्‍या बात है :-)

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