वामयान विध्वंस कर, तालिबान हकलान |
बोध-गया में आज फिर, कौन घुसा नादान |
बोध-गया में आज फिर, कौन घुसा नादान |
कौन घुसा नादान, मसीहा शांत विराजे |
यही बुद्ध की शान, घाव खाकर भी ताजे |
कर देते हैं माफ़, माफ़ ना खुदा करेगा |
हो जाओगे साफ़, सजा वो ही अब देगा ||
बहुत सुंदर कुंडली ...
ReplyDeleteसटीक व् सार्थक अभिव्यक्ति .आभार
ReplyDeleteआज राक्षसी,अपने बच्चे,छिपा रही,मानवी नज़र से
ReplyDeleteमानव कितना गिरा,विश्व में, क्या तेरी वन्दना करूँ !
सटीक और सार्थक प्रस्तुति ,बहुत सुन्दर रचना सही कहा आप ने ,हकीकत को वयां करती रचना
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