जाने मन समझे अकल, प्यार खुदा की देन |
रखूँ कलेजे से लगा, क्यों मिस करना ट्रेन |
रखूँ कलेजे से लगा, क्यों मिस करना ट्रेन |
क्यों मिस करना ट्रेन, दर्द तो सह-उत्पादन |
करूँ सहज स्वीकार, सजा लूँ अन्तर आँगन |
मारे छुरी-कटार, मिटा देता जो यौवन |
उसको सनकी धूर्त, मानता हूँ जानेमन ||
आहा हा...बहुत सटीक.
ReplyDeleteरामराम.
सुंदर !
ReplyDeleteजाने मन समझे अकल, प्यार खुदा की देन |
ReplyDeleteरखूँ कलेजे से लगा, क्यों मिस करना ट्रेन |
सटीक...
बढ़िया।
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति .आभार .
ReplyDeleteहम हिंदी चिट्ठाकार हैं
भारतीय नारी
Bahut khoob!
ReplyDeleteअच्छी अभिव्यक्ति
ReplyDelete“सफल होना कोई बडो का खेल नही बाबू मोशाय ! यह बच्चों का खेल हैं”!{सचित्र}