(1)
प्रणव नाद सा मुखर जी, पाता है सम्मान |
मौन मृत्यु सा बेवजह, ले पल्ले अपमान |
ले पल्ले अपमान , व्यर्थ मुट्ठियाँ भींचता |
बेमकसद यह क्रोध, स्वयं की कब्र सींचता |
नहिं *अधि ना आदेश, मात्र दिख रहा हादसा |
रविकर हृदय पुकार, आज से प्रणव नाद सा ||
*प्रधान
(2)
दागी अध्यादेश पर, तीन दिनों में खाज |
श्रेष्ठ मुखर-जी-वन सदा, धत मौनी युवराज |
धत मौनी युवराज, बड़े गुस्से में लालू |
मारक मिर्ची तेज, चाट ले किन्तु कचालू |
सुबह मचाये शोर, नहीं महतारी जागी |
शीघ्र बुला के प्रेस, गोलियां भर भर दागी ||
राहुल बालक का बयान पाकिस्तानी तैयारों(लड़ाकू विमानों ) के उस व्यवहार के समान है जिन्हें दिल्ली पर बमबारी करने भेजा जाता है वह अम्बाला के अस्पताल पर बम फैंक के भाग जाते हैं .
ReplyDeleteनाच न जाने आंगन टेढ़ा
ReplyDeleteचल रही हाथ की अभिनय क्रीड़ा
शुक्रिया आपकी अद्यतन रचनाओं का जो सर्वथा प्रासंगिक बनी रहतीं हैं .
ReplyDeleteयुवराज को गुस्सा क्यों आता है ...
ReplyDeleteगुस्सा नही अभिनय होता है ये सब कुछ
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