26 September, 2013

काली कॉफ़ी पीजिये, कट जाने दो नाक-

लाशों पर टेबुल सजे, बैठे भारत पाक |
काली कॉफ़ी पीजिये, कट जाने दो नाक |

कट जाने दो नाक, करें हमले वे दैनिक |
मरती जनता आम, मरें सीमा पर सैनिक |

रविकर कर आराम, बैठ प्रभुसत्ता नाशो |
  फिर टकराओ जाम, अरी सरकारी लाशों || 

7 comments:

  1. वाह ! बहुत बढ़िया कहा है ..

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  2. बहुत सुंदर और सामयिक रचना

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  3. जो भी हो रहा है बहुत दुखद है..

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  4. ''सरकारी लाशों'' ने क्‍या से क्‍या बना दिया है देशकाल को !!!!!!!!

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  5. बहुत ही सुन्दर!

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  6. बहुत ही सुन्दर!

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  7. सामयिक विषय पर बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ
    नई पोस्ट अनुभूति : नई रौशनी !
    नई पोस्ट साधू या शैतान

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