..खुलासा : सोशल मीडिया का असली चेहरा !
महेन्द्र श्रीवास्तव
TV स्टेशन.
(1)
बन्दा पैसा पाय के, रहा आत्मा बेंच |
रन्दा घोर चलाय के, ठोक रहा खुर-पेंच |
ठोक रहा खुर-पेंच, सुपारी-पान चबाता |
करता काम तमाम, सामने जो भी आता |
चमक उठा व्यवसाय, रहा जो पहले मन्दा |
चाहे चरित बनाय, बिगाड़े चाहे बन्दा ||
(2)
पैठ पठारे ले बना, लगा निहायत धूर्त |
नाजायज तरकीब से, करे समस्या पूर्त |
करे समस्या पूर्त, वायरस लाय तबाही |
यह काला व्यापार, चीज देता मनचाही |
साधुवाद हे मित्र, तथ्य रखते जो सारे |
काम करे कानून, ख़तम कर पैठ पठारे ||
बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteबहुत खूब ज़वाब नहीं भावानुवाद .
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