29 November, 2013
लेकिन बंद कपाट, दनुजता बाहर आई-
खोजा-खाजी
खुन्नसी, खड़ी खुद-ब-खुद खाट |
रेशम के पैबंद से, बहुत सुधारा टाट |
बहुत सुधारा टाट, ठाठ से करे कमाई |
लेकिन बंद कपाट, दनुजता बाहर आई |
कर के नोच-खसोट, बने जब खुद से काजी |
सम्मुख आये खोट, शुरू फिर
खोजा-खाजी
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1 comment:
Harihar (विकेश कुमार बडोला)
1 December 2013 at 01:26
वाह गजब खोजा-खाजी की है।
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वाह गजब खोजा-खाजी की है।
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