मुर्गा कुकडूं-कूँ करे, फिर दिनभर बेचैन |
लगे अड़ंगे व्याह में, तेल-मैन की रैन |
तेल-मैन की रैन, नहीं हल्दी आ पाई |
बीते कई मुहूर्त, टले हर बार सगाई |
इक दिन मौका पाय, पकड़ता उनका गुर्गा |
हल्दी नमक लगाय, तेल में तलती मुर्गा ||
तेल-मैन = विवाह के एक दिन पहले के कार्यक्रम
बहुत सुन्दर है भाई .
ReplyDeleteआदरणीय , बहुत बढ़िया कृति , धन्यवाद
ReplyDeleteसंध्याकालीन अभिवादन !
ReplyDeleteरोचक कुंडली !!